नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के फैसले के परिणामस्वरूप कमजोर हुए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार निवारण कानून को मूल स्वरूप में लाने, घूस लेने के साथ देने को भी अपराध की श्रेणी में रखने तथा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) को संवैधानिक दर्जा दिये जाने से संबंधित विधेयक सहित 21 विधेयक संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में पारित हुए, जबकि व्यवधानों के परिणामस्वरूप किये गये स्थगनों के कारण आठ घंटे 26 मिनट का समय बर्बाद हुआ।
सोलहवीं लोकसभा का 18 जुलाई को शुरू हुआ 15वां सत्र आज अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बताया कि इस दौरान 17 बैठकें हुईं, जो 112 घंटे चली। सत्र के दौरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया, जिस पर 11 घंटे 46 मिनट की चर्चा हुई। अंतत: प्रस्ताव नामंजूर हो गया। सत्र के दौरान 22 विधेयक सदन में पेश किये गये, जबकि 21 पारित किये गये। इनमें एससी/एसटी अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक 2018, संविधान (123वां संशोधन) विधेयक, 2017, आपराधिक विधि (संशोधन) विधेयक 2018, भगोड़ा आर्थिक अपराधी निवारण विधेयक 2018, मानव तस्करी (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2018 तथा राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्यालय विधेयक 2018 प्रमुख हैं।
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