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Friday 10 August 2018

बिजली विभाग में बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर ऊर्जा मंत्री ने लगाई फटकार

चिनहट उपकेंद्रं पर गिरेगी गाज, हटाये जाएंगे बिलिंग बाबू, अकाउटेंट समेत कई स्टाफ

लखनऊ। बिजली विभाग में बढते भ्रष्टाचार को लेकर ऊर्जा मंत्री ने नाराजगी जताते हुये अधिकारियों को कडी फटकार लगायी है। मंत्री ने राजधानी की बदहाल बिजली व्यवस्था की वास्तविक्ता जानने के बाद चिनहट डिवीजन में बिलों की हेराफेरी का मुद्दे गंभीरता से लिया। जिसमे जिम्मेदार अभियंताओं को भी फटकार लगाई। यही नहीं षुरूवाती रिपोर्ट समझने के बाद चिनहट डिवीजन में आइसक्रीम फैक्टी के अठारह लाख वाले बिल के मामले को लेकर अपना गुस्सा भी जाहिर किया। साथ ही मध्यांचल एमडी को पूरे मामले की जांच करने के निर्देश भी दिए हैं।


बताते चले कि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने मध्यांचल एमडी संजय गोयल, निदेशक कार्मिक एससी झा और मुख्य अभियंता ट्रांस गोमती से बिजली व्यवस्था पर हाल जानने के बाद कर्मियों के बडे खेल को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया। बताते चले इसी दौरान उर्जा मंत्री को आइस्क्रीम फैक्ट्री के बिल में लाखों की हेराफेरी का मामला खुल कर सामने आया। मुख्य अभियंता प्रदीप ने प्रारंभिक रिपोर्ट से भी अवगत कराया। इस पर मंत्री ने चिनहट डिवीजन की पूरी कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। वहीं एमडी ने आज से इसकी जांच भी ष्षुरू करा दी है। मुख्य अभियंता प्रदीप कक्कड़ ट्रांसगोमती ने बताया कि चिनहट डिवीजन में तैनात बिलिंग क्लर्क, अकाउंटेंट सहित कई कर्मियों को जल्द हटाया जाएगा। यही नहीं जांच में भूमिका मिलने पर विभागीय कार्यवाही भी की जाएगी।

कक्कड़ के मुताबिक चिनहट डिवीजन के मुलायम नगर में रहने वाले उपभोक्ता हरीश मिश्र का मीटर भी उखाड़ लिया गया है। साथ ही उसे सील करके जांच के लिए भेज दिया गया है। चिनहट के भवन संख्या 107 मुलायम नगर में हरीश मिश्रा ने कीर्ति नाम से आइसक्रीम फैक्ट्री सालों से संचालित कर रहे थे। इनके नाम पर छह किलोवाट कनेक्शन था।

कई साल से बिल नहीं जमा किया। 24 जुलाई को बिजली विभाग का छापा पड़ता है तो मौके पर बीस किलोवाट लोड मिलता है। शमन शुल्क व जुर्माना लगाया जाता है, लेकिन उपभोक्ता द्वारा कोई भी राषि जमा नहीं की गयी; चिनहट के बिलिंग का कार्य देखने वाले बाबुओं की मिली भगत से पहले 27,390 यूनिट का बिल 4,43,104 लाख का बनाकर एक अगस्त 2018 को जारी किया जाता है, फिर मामला खुलने के डर से मौके पर टीम भेजकर जांच कराई जाती है। तब मामला खुलता है कि रीडिंग 1.48 लाख यूनिट स्टोर है। इसका बिल 18.36 बनाकर दो अगस्त को जारी किया जाता है। सवाल खड़ा हुआ कि लाखों का बकाया होने पर सप्लाई कैसे चलती रही। जिससे यह साफ है कि कही न कहीं विभागीय लोगांें को मिलीभगत है से ही यह कारनामा किया गया। हालाांकि मामला अब मंत्री के संज्ञान में है जिसमे सख्त कार्रवाई होना तय है।

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