नई दिल्ली। लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराए जाने पर जारी राजनीतिक बहसों के बीच लॉ कमीशन (विधि आयोग) ने कहा कि अभी कई और मुद्दों पर विचार किया जाना बाकी है। साथ ही आयोग ने तीन विकल्पों पर सुझाव भी दिये। अपनी रिपोर्ट के साथ एक सार्वजनिक अपील करते हुए आयोग ने कहा कि भले ही लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एकसाथ कराये जाने के मार्ग में विभिन्न अड़चनों पर विचार कर लिया गया है लेकिन कुछ मुद्दों पर अभी तक विचार किया जाना बाकी है।
आयोग ने सभी पक्षों से इस बात पर सुझाव देने को कहा है कि एकसाथ चुनाव करवाया जाना क्या किसी भी तरह लोकतंत्र, संविधान के मूलभूत ढांचे या देश की संघीय नीति के साथ छेड़छाड़ होगी।
पिछले दिनों लॉ कमीशन ने एक साथ चुनाव कराए जाने पर सभी दलों से राय मांगी थी। बीजेपी और कुछ क्षेत्रीय दलों ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराए जाने का समर्थन किया था जबकि कांग्रेस, टीएमसी समेत कई दलों ने इसके विरोध में अपनी राय दी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर एक साथ चुनाव कराए जाने पर आम सहमति बनाने की बात कह चुके हैं। बीजेपी का कहना है कि एक साथ चुनाव कराए जाने से आर्थिक बोझ कम पड़ेगा। वहीं ज्यादातर विपक्षी दलों की दलील है कि एक साथ चुनाव कराए जाने से क्षेत्रीय मुद्दों को नुकसान होगा जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
पिछले दिनों चुनाव आयोग ने कहा था कि फिलहाल एक साथ चुनाव की कोई संभावना नहीं है। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा था कि सांसदों को कानून बनाने के लिए कम से कम एक वर्ष लगेंगे। इस प्रक्रिया में समय लगता है। जैसे ही संविधान में संशोधन के लिए विधेयक तैयार होगा, हम (चुनाव आयोग) समझ जाएंगे कि चीजें अब आगे बढ़ रही हैं।
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