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Sunday 23 September 2018

हरदोई-15 साल से नही पड़ी सरकार की नजर इस करीब कुनबे पर .

पीएम आवास, शौचालय, व उज्जवला योजना काबिल नहीं मिल सका लाभ
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हरदोई-23सितम्बर।वर्षों से गरीबी मिटाने की बातें सुनी जाती हैं। सरकारें भी गरीबी को मुद्दा बनाकर सत्ता चलाती हैं, और अफसर भी गरीबी का ग्राफ कम करने में लगे रहते हैं। पर क्या ये सब कागजों पर ही हो रहा है। क्योंकि धरातल पर जो हालात है वह क्यों नही बदल रहे। यही वजह है कि बेहद निर्धन तबके के लोग आज भी बेबसी की जिंदगी जी रहे हैं।असलियत तो यह कि झोपड़ी सरोज पांडेय का आशियाना है। बीते 15 सालों से सरोज अपने परिवार के साथ इसी झोपड़ी में जिंदगी के दिन काट रहे हैं। सरोज ने कई सरकारें देखी, उनका कामकाज देखा हर बार नई सरकार बनते ही आँखों में इसलिये चमक आ जाती थी कि अब नई सरकार की नजर उनके कुनबे पर पड़ेगी। ऐसा सोचते हुए सरोज ने पूरे 15 साल बिता दिए।पंचर की दुकान से अपने परिवार की जीविका चलाने वाले सरोज को एक आखिरी उम्मीद थी कि दशकों बाद सत्ता में आई भाजपा सरकार उनके दर्द को समझेगी। पर सूबे में एक साल की सरकार में उन्हें अब तक कोई सरकारी मदद नही मिली है। जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर सरोज को अब तक न तो किसी सरकारी योजना का आवास मिला है और न ही शौचालय। यहाँ तक कि उन्होंने इन्ही हालातों में अपनी एक बेटी लक्ष्मी का विवाह इसी झोपड़ी से किया।सुरसा ब्लाक के ग्राम पंचायत म्योनी के अंतर्गत मजरा इछनापुर निवासी सरोज पांडेय का झाड़ फूस का घर कब महफूज होगा ,ये तो वो खुद नही जानते पर सरोज अपने परिवार की जीविका चलाने के लिए जीतोड़ मेहनत करते हैं।सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, व उज्ववला योजना धरातल पर किस तरह पर प्रभावी हैं ये जानने के लिए सरोज के हालात काफी हैं। आखिर इन महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ इस पात्र को क्यों नही मिला ये बड़ा सवाल है।खुले आसमान में जिंदगी बिताने वाले इस कुनबे पर आफत तब आ जाती है जब तेज आंधी या बारिश होने लगती है। सरोज कहते हैं कि बारिश में तो बस भीगने से थोड़ा बहुत नुकसान होता है पर तेज आंधी में पूरे परिवार की जान आफत में पड़ जाती है। झाड़ फूस की झोपड़ी कई बार उड़कर किसी न किसी के ऊपर गिर जाती है। ऐसे में कुदरत के कहर का हर वक्त खतरा रहता है।सोंचना पड़ता है कि घर बनाएं या परिवार की जीविका चलाएं।सरोज की एक बेटी और शादी के लायक है, पर गरीबी की मार से सरोज की सारी कमाई बेटियों के ब्याह में ही खर्च हो जाती है, ऐसे में वह अपना घर बनाये या परिवार की जीविका चलाये ये सोचना पड़ता।सीडीओ आनंद कुमार का कहना है कि अब मामला सामने आया है, अधिकारियों से जांच कराकर पीड़ित परिवार की मदद की जाएगी।

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