नई दिल्ली । पृथ्वी कई बार प्राकृतिक आपदा से तबाही का मंजर देख चुकी है। कई जिंदगियां खत्म हो गई हैं, कितने लोग बर्बाद हो गए। वर्तमान में अमेरिका, फिलीपींस और चीन में तूफानी चक्रवात का कहर दिखाई दे रहा है। यहां कई लोगों की मौत हो गई है, काफी संपत्तियों का नुकसान भी हुअा है।
चक्रवाती तूफान का कहर पृथ्वी पर पहली बार नहीं अाया है, इसके पहले भी भोला, नरगिस, नीना, हैफोंग और कोरिंगा के जलजला भी देख चुकी है। ‘मांगखुत’ ने फिलीपींस के लुजोन द्वीप में भारी तबाही मचाई है। इस तुफान के चलते 49 लोगों की जान चली गई। आइए, हम आपको बतातें है दुनिया के कुछ प्रमुख तुफानों के बारे में, जिसमें लाखों लोगों की जानें गईं। इनकी यादें आज भी पीड़ित देशों के लिए सहमा देने वाली हैं।
दरअसल, इस अनोखी वसुंधरा के पास प्राकृतिक आपदाओं को झेलने की अपार क्षमताएं एवं शक्ति निहित है। तीन वर्ष पूर्व वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 23 वर्षों में इस धरा को लगभग साढ़े छह हजार प्राकृतिक आपदाओं को झेलना पड़ा है। समुद्र से उठे बड़े चक्रवात या तूफान समुद्री तटों को तहस नहस कर देते हैं। हालांकि, मैदानी इलाकों पर इसका प्रभाव नहीं रहता, लेकिन यह सच है कि जो तुफान मैदानी इलाके से उठते हैं, वह भी तटीय तूफानों की तरह भारी तबाही मचाने में सक्षम होते हैं। ऐसे ही कुछ महाविनशाकारी चक्रवाती तुफानों के बारे में जिसमें पूरे देश को बर्बाद करके रख दिया।
1- ‘नरगिस’ के कहर से सहमा म्यांमार
करीब दस वर्ष पूर्व यानी 2008 में एक समुद्री जलजले से म्यांमार सहम गया था। पूरी दुनिया की नजर यहां आए नरगिस तुफान पर टिकी थी। इस चक्रवाती तूफान की गति लगभग 165 से 2015 किमी. प्रतिघंटा थी। इसमें करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हुई थी और नौ हजार लोग घायल हुए थे। इससे 24 लाख लोग प्रभावित हुए थे। इस तूफान में म्यांमार पूरी तरह से तबाह हो चुका था। एक अनुमान के मुताबिक इससे 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर की क्षति हुई थी।
2- चीन में तबाही का पर्याय बना ‘नीना’
नीना चक्रवात ने चीन को बर्बाद करके रख दिया था। 29 जुलाई, 1975 को दक्षिणी प्रशांत महासागर से उठे नीना तुफान की गति से यह तय हो गया था कि यह भारी तबाही मचाएगा। ये टाइफून ताइवान द्वीप से टकराया और चीन की ओर मुड़ गया। इस टाइफून की गति लगभग 222 किमी/घंटा से ज्यादा थी। 30 जुलाई, 1975 को नीना ने चीन में रिकॉर्ड स्तर पर बर्बादी की। यह चौथा सबसे घातक उष्णकटिबंधीय चक्रवात था। यह चक्रवात उस वक्त आया जब चीन में बनकीओ बांध का निर्माण चल रहा था।
दरअसल, चक्रवात से हुई बारिश के कारण बांध में पानी का प्रवाह अत्यधिक हो गया। चीन पानी के प्रवाह को संभालने में नाकाम रहा और अंतत: बांध टूट गया। चीन के लगभग 60 बांध ऐसे थे जो इस धारा प्रवाह में बह गए।
3- ‘हैफोंग’ ने वियतनाम में मचाई भारी तबाही
फोंग चक्रवात शायद दुनिया का सबसे विनाशकारी तुफान था। 8 अक्टूबर, 1881 को वियतनाम में आए इस चक्रवात में तीन लाख लोग काल के गाल में समा गए थे। टोंकिन की खाड़ी से उठा इस तूफान ने पूर्वोत्तर वियतनाम के हैफोंग शहर और उसके आसपास के समुद्री तटों पर सबकुछ तहस नहस कर दिया था। इस विनाशकारी चक्रवात ने तीन लाख मारे गए थे और हजारों लापता हो गए थे। हैफोंग को इतिहास का सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
4- बांग्लादेश में काल बनकर टूटा ‘भोला’ का कहर
‘भोला’ ने भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में भारी तबाही मचाई थी। 11 नवंबर, 1970 को आए इस तुफान में करीब पांच लाख लोगों की जानें गईं थीं। निश्चित रूप से यह इतिहास की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा थी। इस भयंकर चक्रवाती तुफान का केंद्र बंगाल की खाड़ी था। इस तुफान में करीब एक लाख मछुआरे समुद्र की लहरों में समा गए थे। इस तुफान की गति करीब 185 किलोमीटर प्रति घंटा थी। हालांकि, उस वक्त बांग्लादेश का अलग राष्ट्र के रूप में अस्त्वि नहीं था और पाकिस्तान का हिस्सा था। उस वक्त इसे पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था।
5- समुद्र की 40 फीट ऊंची लहरों ने भारत में मचाई तबाही
‘कोरिंगा’ चक्रवात ने भारत के पश्चिमी घाट पर भारी तबाही मचाई थी। 25 नवंबर 1839 को ये तूफान आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले के कोरिंगा से टकराया था, इसलिए इसका नाम ‘कोरिंगा’ रख दिया गया। इस तूफान लगभग तीन लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई। समुद्र की 40 फीट ऊंची लहरों ने करीबत तीन लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया। समुद्र में खड़े लगभग 20 हजार जहाजों के निशान तक नहीं मिले। 1789 में कोरिंगा एक और समुद्री तूफान टकराया था, जिसमें लगभग 20 हजार लोगों की मौत हुई थी।

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