हरदोई।05अक्टूबर।देश की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार अपने बड़े-बड़े भाषणों में गांव की जनता के लिए हजारों दावे करती है लेकिन उसकी जमीनी हकीकत बद से बदतर है । इस गांव की समस्या बदहाल और जनता खस्ताहाल है।यहां देश या प्रदेश की सभी योजना दम तोड़ रही है। ओडीएफ करने का दावा खटाई में पड़ता दिख रहा है और जनता प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक को कोस रही है । आजाद भारत में हरदोई जिले के विकासखंड भरावन के गांव राम मदारपुर के ग्रामीण बताते है यहां रोड कागजों पर बन चुकी है लेकिन असल में रोड की जगह दलदल है । ग्रामीणों के मुताबिक यह रोड दूसरे गांव जनिगांव से जोड़ती है ग्रामीण घुटनों तक दलदल से गुजर कर उस गांव का रास्ता तय करते हैं । गांव के अंदर की हकीकत खंडहरनुमा है।
चारों तरफ गिरे हुए मकान, सर पर हाथ रखे गरीब लोग ,बुजुर्ग आंखों में विकास के लाखों सपने हैं। सोचा था मोदी के सबका साथ सबका विकास का सपना इस बार जरूर पूरा होगा लेकिन ऐसा दिखाई नहीं पड़ता है । ग्रामीणों का कहना है कि प्रधान ने स्वास्थ्य केंद्र में मकान बना लिया और रही-सही इलाज की भी सुविधा खत्म हो गई। चारों तरफ गांव में गलियों की जगह कच्ची पगडंडी हैं । कहीं पर भी कोई विकास की किरण नहीं पहुंची है । यह कहना गलत नहीं होगा कि यह गांव राममदारपुर आज भी राम भरोसे ही है और यहां की जनता अब शासन और प्रशासन की तरफ आस लगाए बैठी हुई है।ग्रामीण बताते हैं कि प्रधान के दरवाजे पर जाने से वह दबंगई दिखाकर जनता को भगा देता है। पीड़ित राकेश, बिंद्रा,दिनेश कुमार बाजपेई,नरेश चंद्र बाजपेई,विष्णु कांति,उमाशंकर बहुतेरे दर्द भरी आंखों से दबंग प्रधान व उनके चमचों व शासन और प्रशासन का जुल्म सह रहे हैं और साथ ही यह भी कह रहे हैं कि कभी ना कभी इस गांव का भी विकास होगा इस गांव में भी गलियां पक्की होंगी और लोगों को उनके सर पर पक्की छत नसीब होगी।राकेश बताते हैं प्रधान ने कॉलोनी दिलाने के नाम पर 20 से 25 हजार की रिश्वत लेने के बाद भी अभी तक किसी को कॉलोनी तक नहीं दिलाई है। इसकी शिकायत कई बार पीड़ितों ने जिला अधिकारी महोदय से की है लेकिन अभी तक कोई भी इसकी जांच करने तक नहीं पहुंचा है और अगर कोई पहुंचा भी तो वह समझा कर वापस कर दिया गया है क्योंकि देश में अभी भी भ्रष्टाचार चरम पर है। उत्तर प्रदेश में आई योगी सरकार ने भ्रष्टाचार को खत्म कर लोगों को उनका हक दिलाने की बात कही थी लेकिन अभी भी हरदोई के बहुत से क्षेत्रों में हक सिर्फ कागजों पर पहुंचा है जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है किसी ने क्या खूब कहा था तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है मगर यह आंकड़े झूठे दावा किताबी है।
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