लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वस्थ नागरिक ही स्वस्थ समाज की आधारशिला बन सकता है। भारतीय समाज स्वस्थ जीवनशैली और स्वास्थ्य के प्रति सदैव जागरूक रहा। बीमारी का उपचार आवश्यक है, लेकिन बीमारी न हो, इसके सम्बन्ध में जागरूकता और भी आवश्यक है। लोगों को स्वास्थ्य और रोगों की रोकथाम के प्रति जागरूक बनाकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने यह विचार आज यहां भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव-2018 के तहत किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के अटल बिहारी वाजपेयी साइन्टिफिक कन्वेंशन सेण्टर में आयोजित हेल्थ कॉन्क्लेव ‘ट्रांसफॉर्मिंग इण्डियन हेल्थ’ को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। यह कॉन्क्लेव 05 से 20 अक्टूबर, 2018 तक चलेगी। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य के विषय में विस्तृत एवं कारगर जानकारी स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा होनी चाहिए। यदि सामान्य प्राथमिक उपचार के विषय में स्कूली बच्चों को जानकारी दी जाए तो जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। समाज के सभी लोगों को प्राथमिक चिकित्सा के विषय में जानकारी दी जानी चाहिए। इसके लिए सभी को सक्रिय प्रयास करने होंगे। इससे लोगों को गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाए जा रहे ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे बीमारियों को नियंत्रित करने में काफी मदद मिली। उन्होंने कहा कि अधिकतर बीमारियां गंदगी, प्रदूषण और अस्वच्छ वातावरण से फैलती हैं। स्वच्छ पेयजल भी अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि बहुत सी बीमारियां जल जनित भी होती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी बीमारियों की रोकथाम नदियों की सफाई तथा जल स्रोतों की स्वच्छता से की जा सकती है।
मुख्यमंत्री ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस वर्ष इंसेफेलाइटिस के प्रकोप पर नियंत्रण का जिक्र करते हुए कहा कि यह जन जागरूकता, समयबद्ध टीकाकरण, पेयजल की शुद्धता तथा स्वच्छ वातावरण से सम्भव हो सका है। उन्होंने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार ने इंसेफेलाइटिस जैसी गम्भीर बीमारी से लड़ने के लिए प्रभावित क्षेत्रों के अस्पतालों, सी0एच0सी0, पी0एच0सी0 में टीकाकरण, इस बीमारी के उपचार से सम्बन्धित आवश्यक उपकरणों तथा दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की, वहीं दूसरी तरफ इससे जूझने के लिए पहले से ही जन जागरूकता अभियान चलाया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए सफाई और स्वच्छ पेयजल की महत्ता के बारे में भी जागरूक किया गया, जिसके सुखद परिणाम इस वर्ष मिले। उन्होंने कहा कि जहां पूर्वांचल के प्रभावित क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष अगस्त माह में इस बीमारी का सर्वाधिक प्रकोप होता था, इस वर्ष इस रोग से ग्रसित बहुत कम संख्या में मरीजों की आमद अस्पतालों में दर्ज हुई और इससे होने वाली मृत्यु की संख्या में बहुत कमी आयी। सरकार ने इससे निपटने की तैयारी पिछले वर्ष से ही शुरू कर दी थी।
मुख्यमंत्री ने ‘आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ का जिक्र करते हुए कहा कि यह गरीबों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा की एक बेहतरीन योजना है, जो उनके लिए स्वास्थ्य कवच का काम करेगी। अब उन्हें इलाज के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इससे गरीबों को बहुत राहत मिलेगी। इस योजना के विषय में जन जागरूकता लाने और गरीबों को इससे जोड़ने पर उन्होंने बल दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीमारियों से इलाज के लिए आज तरह-तरह की उपचार पद्धतियां जैसे-एलोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेद, यूनानी तथा नैचुरोपैथी जैसे विकल्प मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी प्राचीन उपचार पद्धति पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि जड़ी-बूटियों के उपयोग से प्रायः बीमारियों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को इन सभी पैथियों को एकीकृत करते हुए ‘इंटीग्रेटेड ट्रीटमेंट सिस्टम’ ईजाद करना चाहिए। इसका लाभ लोगों को मिलेगा।
चिकित्सक बीमारियों की रोकथाम के विषय में भी करें जागरूक : डॉ0 हर्षवर्धन
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ0 हर्षवर्धन ने कहा कि चिकित्सक मरीजों की बीमारियों का इलाज तो करें ही, साथ ही उन्हें इनकी रोकथाम के विषय में भी जागरूक करें। उन्हें मरीज को बीमारियों के प्रति जागरूक करते हुए समाज में एक आन्दोलन खड़ा करना चाहिए, ताकि बीमारी को विकराल रूप धारण करने से पहले ही रोका जा सके। उन्होंने चिकित्सकों को मरीजों के प्रति सेवाभाव से इलाज करने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि अच्छा चिकित्सक वही है, जिसकी मौजूदगी से समाज में कम बीमारियां फैलें।
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