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Friday, 5 October 2018

सरकार अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के खिलाफ : नकवी

गुवाहाटी। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार को कहा कि अल्पसंख्यक तुष्टिकरण नीति का विरोध करने वाली भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) सरकार ने अपने ’समावेशी विकास’ की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए विकास के स्तर पर सामाजिक व क्षेत्रीय असंतुलन को समाप्त कर दिया है। नकवी ने यह टिप्पणी मंत्रियों, मुख्य सचिवों, विभिन्न राज्यों के समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण के प्रभारी सचिवों की एक क्षेत्रीय समन्वय बैठक कोंबोधित करते हुए की।

उन्होंने कहा कि पहले केंद्र, विकास प्रक्रिया के लिए चुनिंदा क्षेत्रों पर ध्यान देता था और अन्य क्षेत्र खासकर पूर्वोत्तर को नजरअंदार कर दिया जाता था।

नकवी ने कहा, “मोदी सरकार ने विकास के स्तर पर सभी क्षेत्रीय व सामाजिक बाधाओं के अवरोधक तोड़ दिए हैं और मुख्यधारा की विकास प्रक्रिया से देश के ’नजरअंदाज किए गए और पिछड़े क्षेत्रों’ को जोड़ दिया है।“

उन्होंने साथ ही कहा कि केंद्र ने ’वोट बैंक की राजनीति’ को समाप्त कर दिया है और ’विकास के मसौदे’ पर आधारित ’राष्ट्रवादी राजनीति’ के साथ काम किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ’समावेशी विकास’ को लेकर प्रतिबद्धता ने यह सुनिश्चित किया है कि गरीब, अल्पसंख्यक समेत समाज का कमजोर वर्ग विकास की प्रक्रिया में बराबर के भागीदार बने।

नकवी ने कहा कि मौजूदा सरकार ’पिछड़े’ इलाकों में ’प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम’ के अंतर्गत शैक्षणिक सशक्तिकरण और अल्पसंख्यक बालिकाओं के रोजगार आधारित कौशल विकास कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए स्कूल, कॉलेजों, पॉलीटेक्निक, लड़कियों के छात्रावास, आईटी की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है।

उन्होंने कहा, “इन सुविधाओं के अभाव की वजह अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिम बालिकाओं में कम साक्षरता दर का होना है।“

नकवी ने कहा, “गत चार वर्षो के दौरान, अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में मोदी सरकार द्वारा 16 डिग्री कॉलेज, 1,992 विद्यालयी इमारत, 37,123 अतिरिक्त कक्षाएं, 1,147 छात्रावास, 173 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान(आईटीआई), 48 पॉलिटेक्निक, 38,753 आंगनवाड़ी केंद्रों, 3,48,624 घरों, 323 सदभावना मंडप, 73 आवासीय विद्यालय, 17,397 पेयजल सुविधाओं का निर्माण कराया गया।“

नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम बालिकाओं में स्कूल ड्रॉपआउट पहले 70 प्रतिशत से ज्यादा था, जोकि अब जागरूकता व शैक्षणिक सशक्तिकरण कार्यक्रम की वजह से 35 से 40 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य इसे शून्य प्रतिशत तक कम करना है।“

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