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Wednesday, 3 October 2018

भूमिहारों का भाजपा से हुआ मोह भंग , दर्जनों पदाधिकारी ने दिया इस्तीफ़ा

 केन्द्रीय मंत्री राम कृपाल यादव पर जातिगत होने का लगाया आरोप

>> भाजपा के ख़िलाफ़ गाँव – गाँव में खोलेंगे मोर्चा और बताएँगे सच , भाजपा है सवर्ण विरोधी , किसान और युवा विरोधी

 

पटना  ( अ सं )  केंद्र सरकार एवं भाजपा समर्थित बिहार सरकार की सवर्ण विरोधी नीतियों से खफा होकर और पाटलीपुत्र सांसद रामकृपाल यादव के कार्यकलापों से छुब्ध होकर पटना जिला के दर्जनों पदाधिकारियों ने इस्तीफा दिया। पटना जिला ग्रामीण पंचायतीराज प्रकोष्ठ के संयोजक कमलेश कुमार शर्मा एवं भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष राम जी के नेतृत्व में 12 लोगों ने इस्तीफा दे दिया। कमलेश कुमार शर्मा ने आज अखबार से खास बातचीत में कहा की हिंदु हित के मामले में मोदी सरकार में हमलोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। राम मंदिर निर्माण का मामला हो या काश्मीरी पंडितों का घर वापसी कुछ भी कराने में ये सरकार असक्षम साबित हुई। वंही राम जी ने कहा की Sc,St एक्ट जैसा कानून स्वतंत्र भारत के लिए तुगलकी फरमान जैसा है हो अंग्रेजों के काला कानून से कुछ भी कम नहीं।
किसान मोर्चा अध्यक्ष रविन्द्र राज उर्फ टीमल सिंह ने पाटलीपुत्र सांसद रामकृपाल यादव पर घोर जातिवादी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि इनको कार्यकर्ताओं से कुछ भी लेना देना नहीं ये स्वजातीय क्षेत्रीय नेताओं के गोद में बैठकर खेल रहे हैं। पैनाल मंडल युवा मोर्चा उपाध्यक्ष विकाश कुमार के साथ अंकित ने कहा कि हम सवर्ण हैं और मेरी हित की कोई राजनीतिक दल का कोई भी नेता तैयार नहीं है। ऐसे में भाजपा से एक मात्र आशा थी वो भी धूमिल हो गई ऐसे में इस्तीफा देना ही मुनासिब समझा।
इस्तीफा देने वालों में भाजपा पटना जिला ग्रामीण पंचायतीराज प्रकोष्ठ संयोजक कमलेश कुमार शर्मा, युवा मोर्चा जिला उपाध्यक्ष रामजी, बिक्रम भाजपा मंडल महामंत्री रामजीत शर्मा, किसान मोर्चा अध्यक्ष पैनाल मंडल रविन्द्र कुमार राज उर्फ टीमल सिंह, सोशल मीडिया एवं आई टी सेल संयोजक अंकित कुमार, युवामोर्चा मंत्री सन्नी कुमार, पैनाल मंडल कोषाध्यक्ष रंजन गौरव समेत कई लोग शामिल थे। अपुष्ट खबरों के अनुसार कई जगहों पर आने वाले निकट भविष्य में लोग बड़े पैमाने पर भाजपा के प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा बड़े पैमाने पर दे सकते हैं।
ऐसे स्थिति में भाजपा के लिए अपना पारम्परिक गढ़ बचाना भी मुश्किल हो सकता है। भाजपा के रणनीतिकारों को इसपर गहन मंथन करने की आवश्यकता है कि आखिर ये कैसे और क्यों हो रहा है..? क्या ये सभी लोग कँही और अपने लिए राजनीतिक जमीन का तलाश करेंगे या फिर ये स्वतः स्फूर्त लिया गया निर्णय है या फिर कोई बड़ा दृष्टि इन सब घटनाक्रमों के पीछे कार्य कर रहा है.? ऐसे कुछ सवाल हैं जो अभी मौजूं हैं जिसको तलाशने की आवश्यकता है पार्टी के थिंक टैंक को ।।

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