लखनऊ। विवेक तिवारी हत्याकांड मामले को लेकर केन्द्रीय अन्वूषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच के लिए दाखिल याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस पर अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने सरकार की ओर से याचिका का विरोध किया था। उन्होंने तर्क रखा कि सरकार ने मामले में त्वरित कार्रवाई की है। निष्पक्ष जांच चल रही है, इसलिए इसकी सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है।
विवेक तिवारी हत्याकांड के मामले में शुक्रवार को सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर दायर की गई जनहित याचिका हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने कहा है कि याची का इस मामले से कोई वास्ता नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है। विवेक तिवारी की हत्या की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर शमशेर यादव जगराना ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि एसआईटी जांच में भी यूपी पुलिस के ही सदस्य शामिल हैं, ऐसे में जांच को प्रभावित किया जा सकता है। इसलिए मामले की सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए।
इस पर अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने सरकार की ओर से याचिका का विरोध किया। उन्होंने तर्क रखा कि सरकार ने मामले में त्वरित कार्रवाई की है। निष्पक्ष जांच चल रही है, इसलिए इसकी सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस विवेक चौधरी ने कहा कि मृतक की पत्नी कल्पना तिवारी शिक्षित हैं। वह स्वयं अपना पक्ष रख सकती हैं। याची का इस मामले से कोई वास्ता नहीं बनता है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है।
बता दें, विवेक तिवारी हत्याकांड में अब तक दो एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इसमें पहली एफआईआर मामले की एकमात्र चश्मदीद सना की तरफ से दर्ज हुई थी। उस एफआईआर में किसी को नामजद नहीं किया गया था, आरोपी को अज्ञात बताया गया था। इसके बाद विवेक तिवारी की पत्नी की तरफ से दूसरी एफआईआर दर्ज की गई। जिसमें दोनों सिपाहियों को नामजद किया गया। वहीं मामले में गिरफ्तार होने से पहले गोमतीनगर थाने में प्रशांत चौधरी और उसकी पत्नी आरोप लगा रहे थे कि उनकी शिकायत को पुलिस दर्ज नहीं कर रही है।
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