मुंबई । राज्य विधानमंडल के शीत सत्र के सातवें दिन भी आरक्षण और सूखे को लेकर दोनों सदनों में घमासान जारी रहा। विधान परिषद में विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा और हंगामा करता रहा। इस बीच सत्ता पक्ष के सदस्य भी आक्रामक हो गए और दोनों ओर से जमकर नारेबाजी हुई।
प्रश्नकाल के आधे घंटे के बाद ही नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे ने स्थगन प्रस्ताव पेश कर मराठा, धनगर व मुस्लिम समाज को आरक्षण देने के अलावा सूखे पर चर्चा कराने की मांग की। सभापति रामराजे नाईक निंबालकर ने विपक्ष के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इससे विपक्ष के सदस्य नाराज हो गए।
विपक्षी सदस्य वेल में जाकर हंगामा और शोरगुल मचाने लगे। संसदीय कार्य मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि विपक्ष हंगामा खड़ा कर हमारी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद सत्तापक्ष के सदस्य भी तैश में आ गए और हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे और नारेबाजी के बीच सभापति ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर विपक्ष फिर अपनी मांग पर अड़ गया। हंगामे के कारण सभापति ने सदन का कामकाज 25 मिनट और बाद में सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया। इससे पहले सुबह में भी सत्ता पक्ष व विपक्ष के सदस्यों ने विधान भवन की सीढियों पर बैठकर मराठा आरक्षण के समर्थन में नारेबाजी की थी। इस दौरान दोनों पक्षों के सदस्य हंसते हुए भी नजर आए।
संसदीय कार्य कार्यमंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि विपक्ष को पता है कि सरकार मराठों को आरक्षण देने के लिए गंभीर है। विपक्ष नहीं चाहता है कि सरकार को इसका राजनीतिक लाभ मिले। लिहाजा वे हंगामा कर काम में अंडगां डालते हैं। पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट को सदन में पेश करने की परंपरा नहीं है। आयोग ने 52 रिपोर्ट पेश किए हैं। अब तक एक भी रिपोर्ट सदन में पेश नहीं की गई है। इसलिए मराठा आरक्षण की रिपोर्ट को सदन में पेश नहीं किया गया है। विपक्ष नहीं चाहता है कि मराठों को आरक्षण मिले।
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