नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में हुई पुलिस सब इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर परीक्षा में पास हुए छात्रों को ट्रेनिंग पर भेजने का आदेश दिया है। इस परीक्षा में 607 पद खाली रह गए थे और 226 पद निर्भर, अनुकंपा, स्वतंत्रता सेनानी और सेवा आरक्षण कोटे के हैं। सब इंस्पेक्टर के 830 से ज्यादा इन पदों पर अब नई भर्ती नहीं की जाएगी।
जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने मंगलवार को यह आदेश देते हुए यूपी सरकार से कहा कि वह मेरिट के आधार पर जिन लोगों ने 50 फीसदी या ज्यादा अंक अर्जित किए हैं उनकी इन पदों पर भर्ती को सुनिश्चित करें। फैसले में कोर्ट ने कहा कि सिपाही और हेड कांस्टेबल से सब इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नत होने वाले लोगों की सुनवाई अलग से होगी, क्योंकि यह मामला भर्ती से संबंधित नहीं है। इस मामले को तुरंत उचित पीठ के समक्ष लगाने का आदेश दिया है।
यूपी सरकार की ओर अधिवक्ता कमलेंद्र मिश्रा और राजीव दुबे ने बहस की। उन्होंने कहा कि 2011 की भर्ती में 607 पद उन लोगों के हैं जिन्होंने इसे छोड़ दिया था तथा कोई और नौकरी ज्वाइन कर ली थी। वहीं शेष 226 पद वे थे जो निर्भर, अनुकंपा और राज्य के अन्य कोटे से संबंधित थे। सरकार के वकीलों ने कहा कि सरकार अदालत के इस आदेश का पालन करेगी।
-भगवान स्वरूप, सचिव, गृह विभाग, उत्तर प्रदेश
अभी हमें कोर्ट का आदेश नहीं मिला है। कोर्ट का आदेश मिलने के बाद पात्र अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग आदि पर भेजने का निर्णय होगा।
यूपी सरकार इन पदों पर नए सिरे से भर्ती करने के लिए नया विज्ञापन निकालना चाहती थी। राज्य सरकार के इस फैसले को परीक्षा में पास हुए आलोक कुमार सिंह समेत 200 से ज्यादा छात्रों ने अदालत में चुनौती दी और कहा कि जब अर्हता प्राप्त लोग मौजूद हैं तो नई भर्ती क्यों की जाए। उन्हें रिक्तियों में समायोजित करना चाहिए। कोर्ट ने छात्रों का तर्क मान लिया और सरकार से कहा कि योग्य उम्मीदवारों को ट्रेनिंग पर भेजा जाए।
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