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Tuesday, 27 November 2018

तमिल में लिखी  पुस्तक का तमिलनाडु में रहने वालों को मिलेगा फायदा

लखनऊ। राजधानी  लखनऊ  से 80 किमी दूर सीतापुर जिले में गोमती नदी के बाएं तट पर स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ नैमिषारण्य है। मार्कण्डेय पुराण में अनेक बार इसका उल्लेख 88000 ऋषियों की तपःस्थली के रूप में आया है। इसी तरह के और कई सारे महत्वपूर्ण और आध्यात्म से जुड़े तथ्यों वाली श्नैमिषारण्य  पुस्तक का विमोचन मंगलवार को भारतीय शिक्षा शोध संस्थान निरालानगर में आयोजित एक कार्यक्रम में मंगलवार को पांडीचेरी के ओंकार आश्रम के महाधिपति ओंकारानंदा जी ने स्वयं अपने द्वारा लिखित श्नैमिषारण्य , नामक पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक तमिल भाषा में लिखी गई है। तमिलनाडू में इस पुस्तक का लाभ वहां से नैमिषारण्य घूमने आने वालों को मिलेगा। इस अवसर पर ओंकार आश्रम पाण्डीचेरी से आये स्वामी कोटेश्वर ने इस पुस्तक में दिये गये महत्वपूर्ण तथ्यों पर भी प्रकाश डाला। वे अपने 24 सदस्यीय दल के साथ लखनऊ पहुंचे हैं। यह दल नैमिषारण्य की यात्रा पर जाने वाला है। भारतीय शिक्षा शोध संस्थान के निदेशक प्रो सुबोध ने ओंकारानंदा  का स्वागत किया। इस मौके पर विजय शर्मा और संस्थान के सचिव डॉ  आईपी शर्मा भी मौजूद रहे। शोध करने वाली छात्र.छात्राएं भी इस मौके पर उपस्थित रही  मौजूद रहीं।

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