नई दिल्ली। पुलवामा का बदला लेने के लिए भारत ने पाकिस्तान पर दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक की तो अगले दिन ही पाकिस्तान ने भी भारतीय सीमा में अपने फाइटर प्लेन भेज हमले का नाकाम प्रयास किया। तनाव की इन स्थितियों ने अगर युद्ध का रूप लिया तो भारत की तीनों सेनाएं पाकिस्तानी सेना पर अपने संख्याबल, तकनीक, मिसाइल प्रणाली और आधुनिक हथियारों के साथ बहुत भारी पड़ेगी। इसके अलावा भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो भी पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने में अहम भूमिका निभा सकती है।
इसरो अपने सेटेलाइट के जरिए पाकिस्तान के चप्पे-चप्पे पर बारीकी से नजर रख सकता है। इसरो की सेटेलाइटें पाकिस्तान की 85 फीसद से ज्यादा जमीन पर अंतरिक्ष से एचडी तकनीक में नजर रखने में सक्षम हैं। भारत की अंतरिक्ष क्षमताएं सशस्त्र बलों को पाक के मुकाबले ज्यादा प्रभावी योजना बनाने में मदद कर सकती हैं। इन सेटेलाइट के जरिए न केवल पाकिस्तानी सेनाओं की गतिविधि पर नजर रखी जा सकती है, बल्कि भारतीय सेनाओं या सशस्त्र बलों के रास्ते में आने वाली हर रुकावट का भी पहले से ही अनुमान लगाया जा सकता है। ऐसे में बालाकोट जैसी एयर स्ट्राइक करना भारत के लिए और आसान हो जाता है।
14 देशों पर नजर
भारतीय वायु सेना भी इसरो की इन क्षमताओं से संतुष्ट है। वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी अपने पूर्व के बयानो में कह चुके हैं कि उन्हें पड़ोसी देशों पर नजर रखने के लिए और सेटेलाइटों की जरूरत है, लेकिन इसरो उनकी 70 फीसद आवश्यकताओं को पूरा कर चुका है, जो संतोषजनक है। इसरो के अनुसार भारत की ये अंतरिक्ष क्षमताएं उसे पाकिस्तान की तरह ही अन्य पड़ोसी देशों पर भी बारीक निगाह रखने में मदद करती है। भारत 14 देशों के लगभग 55 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर नजर रखने में सक्षम है।
पाकिस्तान के घरों में झांक सकता है भारत
भारत अपनी सेटेलाइटों के जरिए पाकिस्तान के 8.8 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में से लगभग 7.7 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर नजर रखने में सक्षम है। इन एरिया में सेटेलाइट्स के जरिए भारतीय सेना को 0.65 मीटर की एचडी (हाई डेफिनेशन) मतलब उच्च गुणवत्ता की तस्वीरें प्राप्त हो सकती हैं। करीब एक माह पहले, 17 जनवरी 2019 को अंतरिक्ष विभाग के मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक बयान में कहा था कि भारत, पाकिस्तान के घरों में भी झांक सकता है। उनका ये बयान भारतीय सेटेलाइटों की क्षमता को बयां करने में पर्याप्त है।
ये हैं प्रमुख सेटेलाइट
भारतीय सेनाओं की मदद करने वाली प्रमुख सेटेलाइटें, कार्टोसेट सेटेलाइट्स की सीरिज हैं। इसमें जीसैट-7, जीसैट-7ए, भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (आइआरएनएसएस) तारामंडल, मिक्रोसैट, रिसैट और हाल में ही लांच हुई HysIS सेटेलाइट शामिल हैं। सैन्य उपयोग में आने वाली क्रियाशील सेटेलाइटों की गिनती 10 से ज्यादा है। माना जाता है कि इन्हीं उपग्रहों की मदद से भारत ने सितंबर 2016 में पाकिस्तान में पहली सफल सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इन उपग्रहों की मदद से किसी खास जगह (एरिया ऑफ इंटरेस्ट-AOI) को फोकस किया जा सकता है।
12 साल में इसरो ने रची कामयाबी
भारत ने सेटेलाइट के जरिए अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए वर्ष 2005 में पहला कार्टोसेट लॉच किया था। इसके बाद वर्ष 2007 में कार्टोसेट-2ए लॉच किया गया। ये भारत की पहली दोहरे उपयोग वाली सेटेलाइट थीं, जिससे भारत पड़ोसी देशों के मिसाइल प्रक्षेपण की निगरानी करने की क्षमता रखता है। जून 2016 में लॉच किया गया कार्टोसेट-2सी, संवेदनशील लक्ष्यों की वीडियो रिकॉर्डिंग करने में सक्षम है। इसी उपग्रह श्रृंखला में अगला कार्टोसैट-2ई, जून 2017 में लॉच किया गया था। वर्ष 2018 में भी इसरो ने सैन्य उपयोग के लिए कई उपग्रह एक साथ (बुके में) लॉच किए थे।
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