नई दिल्ली। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद पूरा विश्व चिंतित है। इसकी चिंता के सबसे बड़ी वजह पाकिस्तान की कार्रवाई है जो उसने बुधवार की है। पाकिस्तान ने माना है कि भारत का एक पायलट उनके कब्जे में है। इसके लिए बाकायदा पाकिस्तान ने तीन वीडियो भी रिलीज किए थे। इनमें से एक वीडियो में पायलट के साथ मारपीट करते दिखाया गया था। दूसरे वीडियो में पायलट को अपनी जानकारी देते हुए दिखाया गया था। तीसरे वीडियो में पायलट को चाय का कप हाथ में लिए बेहतर माहौल में दिखाया गया था। तीनों वीडियो वायरल होने के बाद पाकिस्तान ने सबसे पहले रिलीज किए गए वीडियो को हटा लिया, जिसमें पायलट के साथ मारपीट करते हुए कुछ लोगों और जवानों को दिखाया गया था। इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से बार-बार भारत को कटघरे में खड़ा करते हुए यह बात कही गई कि पाकिस्तान वार्ता और शांति चाहता है लेकिन भारत माहौल को खराब करने में लगा है। इन सभी घटनाओं को पूरी दुनिया ने देखा है।
इसके बाद पाकिस्तान की संसद के संयुक्त सत्र में प्रधानमंत्री ने इस बात की घोषण की कि भारतीय पायलट को शुक्रवार को रिहा कर दिया जाएगा। इमरान खान ने बार-बार कहा कि उन्होंने लगातार पीएम मोदी से तनाव कम करने और वार्ता करने की अपील की है। इन कोशिशों के तहत ही पाकिस्तान गुडविल मैसेज देते हुए भारतीय पायलट को रिहा कर देगा। लेकिन पाकिस्तान की तरफ से आए इन बयानों में कितनी सच्चाई है इन पर भी गौर कर लेना बेहद जरूरी है। ऑर्ब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत का साफ कहना है कि पाकिस्तान हिरासत में लिए गए भारतीय पायलट के जरिए मोलभाव करने की गलती कर रहा है। उनका साफ कहना है कि पाकिस्तान को आज नहीं तो कल भारतीय पायलट को सकुशल छोड़ना ही पड़ेगा। इसके अलावा पाकिस्तान के पास और कोई चारा नहीं है। पंत का यह भी मानना है कि भले ही भारतीय पायलट युद्धबंदी नहीं हैं लेकिन जेनेवा में इसको लेकर कोई सटीक परिभाषा भी आज तक तय नहीं हो सकी है। यही वजह है कि दूसरे देश के बंदी बनाए गए जवान पर जेनेवा कंवेशन लागू होती रही है। पाकिस्तान को भी इसके ही मुताबिक काम करना होगा।
आपको बता दें कि पाकिस्तान द्वारा भारतीय पायलट को गिरफ्तार करने के बाद भारत ने दिल्ली स्थित पाकिस्तान के राजदूत को तलब कर भारतीय पायलट को रिहा करने की बात कही थी। इसके अलावा पाकिस्तान सरकार को आधिकारिक पत्र भी लिखा था।
पाकिस्तान ने खुद वीडियो जारी कर कहा था कि भारतीय पायलट उनके कब्जे में है। जिसके बाद जेनेवा कंवेशन के तहत पायलट को रिहा करने के अलावा उसके पास कोई और विकल्प नहीं था।
पाकिस्तान इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ था कि भारत न तो पायलट की रिहाई के मुद्दे पर पीछे हट रहा है न ही आतंकवाद पर हुई बालाकोट में कार्रवाई पर ही कमजोर पड़ा है। लिहाजा वह पायलट के साथ कुछ गलत कर अपने हाथ नहीं जलाना चाहता था।
पाकिस्तान इस बात को बेहद अच्छी तरह से जानता है कि जहां भारत के साथ इस मुद्दे पर पूरा विश्व खड़ा है वहीं पाकिस्तान का साथ केवल इस्लामिक देशों का संगठन ही दे रहा है।
पाकिस्तान इस बात से भी अच्छे से वाकिफ है कि फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन ने संयुक्त राष्ट्र में जैश ए मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव रखा है। इस पर जल्द ही फैसला भी ले लिया जाएगा।
हाल ही में चीन के वुझेन में हुई चीन, रूस और अमेरिका की बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर साथ देने की बात कही गई है। पाकिस्तान को कहीं न कहीं इससे डर लगा हुआ है कि चीन इस मुद्दे पर उससे छिटक सकता है।
संयुक्त राष्ट्र में ही पिछले दिनों चीन ने एक ऐसे मसौदे पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें आतंकवाद पर लगाम लगाने की बात कही गई थी। हालांकि बाद में चीन ने इसको लेकर सफाई भी दी थी। लेकिन पाकिस्तान को बार-बार चीन के अलग होने का डर सता रहा है।
पाकिस्तान इस बात को अच्छे से जानता है कि यदि मसूद अजहर पर वैश्विक आतंकी होने की मुहर लग जाती है तो उसकी पूरी विश्व बिरादरी में काफी किरकिरी हो जाएगी। इतना ही नहीं इसका असर दूरगामी होगा। आपको बता दें कि एफएटीएफ ने हाल ही में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही बरकरार रखा है। यदि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाता है तो पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट तक किया जा सकेगा।
बालाकोट में जिस तरह की कार्रवाई भारत ने की और इसमें मसूद अजहर के करीबी रिश्तदार मारे गए उससे पाकिस्तान को कहीं न कहीं इस बात का भी डर सता रहा है कि कहीं ओसामा बिन लादेन पर हुई कार्रवाई की तरह ही भारत भी कोई कदम न उठा ले। यदि ऐसा हुआ तो पाकिस्तान को अपनी ही जनता को जवाब देना काफी मुश्किल हो जाएगा।
आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को सऊदी अरब का भी साथ नहीं मिला है। हालांकि सऊदी अरब ने पाकिस्तान को आर्थिक संकट से उबारने के लिए बड़ी मदद की है, लेकिन आतंकवाद के मुद्दे पर उसने भारत का साथ दिया है।
पाकिस्तान यदि भारतीय पायलट का नहीं छोड़ता तो उसको वैश्विक समुदाय से बेदखली का डर भी रहता। वहीं पाकिस्तान सार्क समिट को लेकर भी अलग-थलग हो चुका है।
पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान पर पूरी विश्व बिरादरी का दबाव है कि वह कोई कदम ऐसा न उठाए जिससे तनाव बढ़े। इसके अलावा पूरा विश्व चाहता है कि वह अपने यहां पर आतंकियों पर कड़ी कार्रवाई करे। अमेरिका इस बारे में खुलकर पाकिस्तान को लताड़ भी चुका है।
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