नई दिल्ली। जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आतंकी घोषित करने में अमेरिका की चीन को चेतावनी भी काम नहीं आई। चीन ने बुधवार देर रात चौथी बार वीटो का इस्तेमाल कर मसूद अजहर को संरक्षण दे दिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति के समक्ष मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए फ्रांस,ब्रिटेन और अमेरिका ने 27 फरवरी को प्रस्ताव पेश किया था। इसके बाद समिति ने सदस्य देशों को आपत्ति दर्ज करने के लिए 10 दिनों का समय दिया था। यह मियाद भारतीय समयानुसार बुधवार देर रात साढ़े बारह बजे समाप्त हो रही थी लेकिन चीन ने मियाद खत्म होने से ऐन कुछ घंटे पहले प्रस्ताव पर तकनीकी के आधार पर अड़ंगा लगा दिया जबकि प्राय सभी देश मसूद पर प्रतिबंध के पक्ष में थे।
अमेरिका ने इससे पहले चेतावनी देते हुए कहा था कि अजहर को लेकर चीन का रुख क्षेत्रीय स्थिरता एवं शांति के लिए खतरा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता रॉबर्ट पलाडिनो ने कहा,‘अजहर जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक और सरगना है तथा उसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से आतंकवादी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं। उन्होंने कहा कि जैश कई आतंकवादी हमलों में शामिल रहा है और वह क्षेत्रीय स्थिरता एवं शांति के लिए खतरा है। अमेरिका और भारत आतंक के खिलाफ मिलकर काम कर रहे हैं। पुलवामा में हुए सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया था। जिसे चीन ने मित्र पाकिस्तान की मदद करते हुए मसूद अजहर को एक बार फिर बचा लिया है।
चीन ने फिर दिखाई आतंकी मसूद अजहर से हमदर्दी
आम सहमति से फैसला : संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति किसी संगठन या व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाने के लिए आम सहमति से फैसले लेती है। ऐसे में चीन की सहमति स्थायी सदस्य होने के नाते जरूरी थी।
चीन ने संयुक्त राष्ट्र में चालाकी के संकेत दिन में ही दे दिए थे। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता लु कांग ने कहा, ‘मैं यह दोहराता हूं कि चीन जिम्मेदाराना रवैया अपनाना जारी रखेगा और यूएनएससी 1267 समिति के विचार-विमर्श में हिस्सा लेगा।
अमेरिकी संदेश से बेपरवाह : प्रस्ताव पर फैसले से पहले अमेरिका ने दो टूक कहा था कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित नहीं करने देने का चीनी रुख क्षेत्रीय स्थिरता एवं शांति के लिए खतरा होगा।
असहमति हमारे पारस्परिक लक्ष्य के विपरीत
न्यूयॉर्क। अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने पर चीन का विरोध क्षेत्रीय स्थिरता पर अमेरिका के साथ इसके पारस्परिक लक्ष्य के विपरीत है। पैलाडिनो ने वॉशिंगटन में कहा कि मसूद के संगठन जैश ए मोहम्मद को यूएन पहले ही आतंकी संगठन घोषित कर चुका है। ऐसे में चीन ने अजहर को अपने संरक्षण में रखा है और उसे एक वैश्विक आतंकवादी घोषित के प्रयास के विरोध में वीटो करता रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन क्षेत्रीय स्थिरता और शांति कायम करने को लेकर एक आपसी हित साझा करते हैं और अजहर को नामित करने में विफलता इस लक्ष्य के विपरीत है।
भारत में कई हमले करा चुका है अजहर
आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद का प्रमुख 50 वर्षीय मसूद अजहर ने भारत में कई आतंकवादी हमले कराए हैं और वह संसद, पठानकोट वायुसेना स्टेशन, उरी, पुलवामा समेत जम्मू-कश्मीर में कई अन्य जगह सैन्य शिविरों पर हमले का साजिशकर्ता है। पुलवामा में 14 फरवरी को हुए जैश के हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तीन स्थायी सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए प्रस्ताव पेश किया था।
चीन ने एक बार फिर दिखा दिया पुराना रंग
पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद चीन की चुप्पी से यह आस थी कि इस बार वह मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में अड़ंगा नहीं लगाएगा। लेकिन चीन ने अपना पुराना रंग नहीं बदला। भारत ने एक दिन पहले ही फ्रांस को मसूद अजहर के खिलाफ नए दस्तावेज सौंपे थे। लेकिन चीन की करतूत से सारी कोशिशों पर पानी फिर गया। चीन के वीटो से भारत ही नहीं पूरी विश्व बिरादरी को निराशा हाथ लगी है।
दस साल में चौथी चालबाजी
– 2009 : मुंबई हमले के बाद पहली बार मसूद पर प्रतिबंध का प्रस्ताव पेश किया गया
– 2016 : भारत ने सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा, चीन ने रोका
-2017 : अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से प्रस्ताव पारित किया, चीन ने वीटो किया
– 2018 : फ्रांस के प्रस्ताव का ब्रिटेन अमेरिका ने समर्थन किया लेकिन बीजिंग ने डाला अडंगा
प्रतिबंध लगता तो…
-संयुक्त राष्ट्र संघ के किसी भी सदस्य देश की यात्रा पर रोक लग जाती
-उसकी सारी चल-अचल संपत्ति जब्त कर ली जाती
-संयुक्त राष्ट्र से जुड़े देश के लोग किसी तरह की मदद नहीं कर पाते
-कोई भी देश मसूद को हथियार मुहैया नहीं करा पाता
– पाकिस्तान को भी मजबूरन मसूद की गतिविधियों पर रोक लगानी पड़ती
मसूद क्यों बना नासूर
– संसद, पठानकोट एयरबेस, उरी सैन्य शिविर, पुलवामा समेत जम्मू-कश्मीर में कई अन्य जगह पर हमले का साजिशकर्ता है। 1999 में कंधार विमान हाइजैक के बाद उसे छोड़ा गया था।
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