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Wednesday 29 May 2019

आहार नली का कैंसर 45 से 50 साल की उम्र मेें अधिक

केजीएमयू के डॉक्टारों ने दूरबीन विधि से आपरेशन कर बचाई देवीलाल की जान

लखनऊ। किंग जाॅर्ज चिकित्साविश्वविद्यालय के सर्जिकल आकोलाॅजीविभाग(कैंसर सर्जरी) ने आहारनली का कैंसर (इसोफेगस कैंसर) का आपरेशन कर मरीज को नया जीवन दान दिया है। खासबात यह है कि छाती में दूरबीन से एक ही छेद कर इस प्रकार का आपरेशन देश में पहली बार किया गया है।

यह हैं मामला

सीतापुर निवासी 65 वर्षीय देवीलाल (बदला हुआ नाम) का यह आपरेशन सर्जिकल आकोलाॅजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ शिवराजन के नेतृत्व में किया गया।उन्होंने बताया कि आहार नली का कैंसर में मरीज की छाती, गर्दन और पेट का सामान्यता दो प्रकार से आपरेशन किया जाता है। इस आपरेशन को करने का पहला तरीका चीरा लगाके होता है और दूसरा दूरबीन से मरीज की छाती में चार छेद कर आपरेशन किया जाता है।

इस विधि से किया गया आपरेशन

डाॅ शिवराजन ने बताया कि दूरबीन से आपरेशन किए जाने से मरीज को दर्द कम होता है और वह शीघ्र ही सामान्य जीवन जीता है। जिसमें पहले इस आपरेशन में मरीज की छाती में चार छेद किए जाते थे लेकिन दिनांक 28 मई 2019 को केजीएमयू के सर्जिकल आकोलाॅजी विभाग द्वारा सिर्फ एक ही छेद कर सफलता पूर्वक यह आपरेशन किया गया।उन्होंने बताया कि इस ऐतिहासिक आपरेशन को सफलता पूर्वक करने में विभागाध्यक्ष डाॅ अरूण चतुर्वेदी एवं प्रो विजय कुमार का पूर्ण सहयोग एवं प्रोत्साहन प्राप्त हुआ।

कैंसर की मुख्य वजह यह

डाॅ शिवराजन ने बताया कि आहारनली मुह से पेट तक भोजन ले जाने का काम करती है।जब यह नली कैंसर ग्रस्त हो जाती है तो उसे इसोफेगस कैंसर कहते हैं। उन्होंने बताया कि खाना निगलने में तकलीफ होने या फिर खाना खाते समय ठसका लगना, खांसी आना आहारनली के कैंसर की मुख्य वजह हो सकती है। इसके साथ कुछ समय बाद अगर पानी निगलने में भी तकलीफ होतो तुरंत किसी विशेषज्ञ से जांच करवाएं।उन्होंने बतायाकि यह कैंसर 45 से 50 साल उम्र के लोगों मेें अधिक पाया जाता है। एंडोस्कोपी के माध्यम से आहारनली के कैंसर की पहचान संभव है।

इन डॉक्टरों की टीम किया आपरेशन

आपरेशन करने वाली टीम में सीनियर रेजीडेंट डाॅ सत्यव्रतदास, डा शशांक, डाॅ पुनीत, डाॅ अजहर, एनेस्थीसियाटीम में डाॅ दिनेश सिंह एवं डाॅ शशांक तथा नर्सिंगस्टाॅफ में सिस्टर कृष्णा, उत्तम सिंह एवं सुनील मुख्य रूप सेमौजूद रहे।

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