कांग्रेस की ख्वाहिश पूरी होती है या फिर से 2014 की तरह ख्वाब अधूरे रह जाते हैं
अखिलेश्वर
लखनऊ। 17वीं लोकसभा चुनाव के आखिरी दौर के चुनाव में 19 मई को मतदान होना है, जिसके लिए कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। चुनावी के आखिरी फेज के इस मतदान में कांग्रेस के नौ रणबांकुरे रणक्षेत्र में नजर आएंगे। गौर करने वाली बात यह है कि 13 सीटों पर होने वाले चुनाव में कांग्रेस ने चार सीटों पर अपने पुराने नायाब हीरों पर ही दांव लगाया है, वहीं हाथ का पंजा मजबूत करने के लिए पांच नए उम्मीदवारों से भी कांग्रेस ने जीत की उम्मीद लगा रखी है। जबकि दो सीटों पर कांग्रेस के सहयोगी दल के प्रत्याशी मैदान में हैं, वहीं दो सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों का पर्चा ही खारिज हो गया है। ऐसे में अकेले दम पर कांग्रेस के नौ प्रत्याशी और सहयोगी दल के साथ कुल 11 प्रत्याशी सातवें चरण का चुनाव में विपक्षियों के सामने ताल ठोकते नजर आएंगे। इससे पहले 2014 के चुनाव में कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले चार प्रत्याशी अभी भी उन्हीं सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। बनारस लोकसभा सीट से पीएम मोदी, कांग्रेस से अजय राय चुनावी ताल ठोक रहे हैं। बलिया और बांसगांव से कांग्रेस के प्रत्याशी का पर्चा खारिज हो गया था। जिन नौ सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी रणक्षेत्र में हैं, उनमें से कम से कम आधा दर्जन सीटें कांग्रेस को अपने हिस्से में आने की पूरी उम्मीद संजो रखी है। वहीं कांग्रेस की मानें तो शिवकन्या कुशवाहा जो पिछली बार काफी कम मतों से हारी थीं, इस बार जीतकर संसद पहुंचेंगी। कांग्रेस को सभी से करिश्माई प्रदर्शन की पूरी उम्मीद लगी हुई है। हालांकि यह तो वक्त बताएगा कि कांग्रेस की ख्वाहिश पूरी होती है या फिर से 2014 की तरह ख्वाब अधूरे रह जाते हैं। वहीं इस आखिरी दौर के चुनावी माहौल को लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता बृजेंद्र सिंह का कहना हे कि हम नौ सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, दो सीटों पर हमारी पार्टी का पर्चा खारिज हो चुका है। चंदौली और गाजीपुर से हमारे सहयोगी जन अधिकार मंच के प्रत्याशी लड़ रहे हैं। नौ में से चार कैंडिडेट पुराने हैं और पांच नये हैं। नौ सीटों पर सीधे तौर पर हमारी भारतीय जनता पार्टी से लड़ाई है और हम कम से कम आधा दर्जन सीटों पर विजय पताका फहराने जा रहे हैं।
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