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Friday 14 June 2019

अजीबो-गरीब मज़ार जहाँ चादर नहीं चढ़ाई जाती है जलती हुई बीडी, सिगरेट

कप्तान बाबा की मज़ार – हमारा देश सदियों से दुनिया के सामने अनेकता में एकता की अनोखी मिसाल पेश करता आ रहा है. भारत में अलग-अलग धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं बावजूद इसके लोग एक-दूसरे के धर्म और मज़हब का सम्मान करते हैं.

यही वजह है कि हिंदू धर्म के कई लोग मस्जिद या मज़ार में जाकर अपना सिर झुकाते हैं और मुस्लिम समुदाय के कई लोग देवी-देवताओं के मंदिर में जाकर नतमस्तक होकर मन्नतें मांगते हैं.

आज हम आपको एक ऐसे मज़ार के बारे में बताने जा रहे हैं जहां हर धर्म के लोग श्रद्वा और विश्वास के साथ आते हैं लेकिन इस मज़ार की एक खासियत यह है कि यहां कप्तान बाबा की मज़ार को अगरबत्ती और चादर नहीं चढ़ाई जाती बल्कि सिगरेट का चढ़ावा चढ़ाया जाता है.

कप्तान बाबा की मज़ार

अभी तक आपने देश के अधिकांश मज़ारों पर चादर और अगरबत्ती ही चढ़ाते हुए देखा होगा लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मूसाबाग में स्थित कप्तान बाबा की मज़ार पर लोग जलती हुई सिगरेट चढ़ाते हैं. आपको बता दें कि कप्तान बाबा एक अंग्रेज कैप्टन थे जिनका नाम वेल्स हुआ करता था.

इस मज़ार के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों की मानें तो देश में जब अंग्रेजों का राज था तब यहां वेल्स नाम के एक अंग्रेज कैप्टन हुआ करते थे. बताया जाता है कि उन्हें सिगरेट पीने का शौक था, जिसके चलते यहां आनेवाले लोग कप्तान बाबा को खुश करने के लिए और अपनी मन्नत मनवाने के लिए सिगरेट चढ़ाते हैं.

सिगरेट चढ़ाकर मांगते हैं मन्नत

ऐसी मान्यता है कि इस मज़ार पर सिगरेट चढ़ाने से मन्नतें पूरी होती हैं और प्रेमी या प्रेमिका को उसका खोया हुआ प्यार वापस मिल सकता है. यही वजह है कि यहां आनेवाले अधिकांश लोग सिगरेट जलाकर इस मज़ार पर चढ़ाते हैं और बाबा से मन्नतें मांगते हैं.

लोगों की अस्था और विश्वास का आलम तो यह है कि इस मज़ार पर अधिकांश लोग अपनी मन्नत मांगने के लिए आते हैं और जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो वो दोबारा इस मज़ार पर आकर बाबा को सिगरेट चढ़ाते हैं.

सभी धर्मों के लोग आते हैं यहां

आपको बता दें कि ये मज़ार वैसे तो एक क्रिश्चियन सिपाही की है, लेकिन यहां पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोग आते हैं और मज़ार पर आकर सिगरेट जलाते हैं.

हालांकि इसके पीछे भी एक कहानी है जिसके मुताबिक साल 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के तहत अंग्रेज सैनिकों और भारतीय स्वतंत्रता सैनिकों के बीच में भयंकर गोलाबारी हुई थी. इसी गोलाबारी में कैप्टन वेल्स मारे गए थे, जिन्हें सिगरेट और शराब से बहुत प्यार था. हालांकि इस मज़ार के बारे में जानकारी रखनेवाले लोगों को भी पता नहीं है कि कैप्टन वेल्स कप्तान बाबा कब बन गए.

बहरहाल कप्तान बाबा की मज़ार पर सिगरेट चढ़ाने की यह परंपरा सालों से चली आ रही है और यहां आनेवाले लोगों की मान्यता है कि सिगरेट चढ़ाने से वेल्स खुश होते हैं और उनकी मन्नतों को पूरी करते हैं.

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