राची। झारखंड के लातेहार में एक शख्स की भूख से मौत की बात सामने आई है. हालांकि राज्य सरकार ने भूख से मौत को नकार दिया है. राज्य की समाज कल्याण मंत्री लुइस मरांडी ने लातेहार में 65 वर्षीय रामचरण मुंडा की भूख से मौत होने की बात से इंकार किया है. मंत्री लुइस ने कहा कि सरकार कई सारी जनकल्याणकारी योजनाएं चला रही है. किसी ना किसी योजना का लाभ उसे मिल रहा होगा. इसलिए इसे भूख से मौत नहीं कह सकते हैं.
मंत्री ने कहा कि मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया गया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद मौत के असली कारणों का पता चलेगा. बताया जा रहा है कि 65 साल के रामचरण मुंडा ने तीन-चार दिनों से खाना नहीं खाया था. क्योंकि परिवार को तीन महीने से राशन नहीं मिला था. घर पर तीन दिनों से अन्न का एक दाना भी नहीं था. इतना ही नहीं कुछ दिनों से घर में चूल्हा तक नहीं जला था. हालांकि अधिकारी इस बात से इनकार कर रहे हैं कि मौत भूख से हुई है. उनका कहना है कि मामले की जांच की जा रही है.
रामचरण मुंडा की बेटी ने बताया, “तीन महीने से परिवार को राशन नहीं मिला था, इसलिए मेरे पिता ने चार दिनों से कुछ नहीं खाया था.” बताया जा रहा है कि राशन बांटने वाले स्थानीय डीलर ने नेटवर्क का बहाना बनाकर तीन महीने से राशन का वितरण नहीं किया था. जबकि सरकारी अधिकारी इसके पीछे कुछ और ही कारण बता रहे हैं. एसडीएम ने ट्वीट कर इस पूरे मामले पर सफाई दी है.
मौत की खबर मीडिया में आते ही आनन-फानन में प्रशासन मदद के लिए आगे आया. रामचरण मुंडा के परिजनों को अनाज और दाह संस्कार के लिए पैसे दिए गए. मुंडा की मौत जांच का विषय है. लेकिन अगर मुंडा की मौत भूख से हुई है तो यह सरकारी मशीनरी के कामकाज पर सवालिया निशान खड़ा करता है.
एक ओर तो सरकार अपनी योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने की बात करती है. दूसरी ओर देश में भूख से मौत हो रही है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद मोदी की बंपर जीत पर विशेषज्ञों ने तर्क दिया था कि मोदी की योजनाओं के कारण जीत हुई है. ऐसे में अगर वाकई भूख से मौत हो रही है तो जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
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