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Sunday 23 June 2019

ये लक्षण बताते है कहीं आपको HIV या एड्स तो नहीं

एचआईवी/एड्स एक गंभीर बीमारी जरूर है, लेकिन जीवन का अंत नहीं। एक समय था जब भारत के अंदर एड्स का नाम लेने या उससे जुड़े किसी भी सवाल को पूछना किसी पाप के बराबर माना जाता था। ऐसा लगता है जैसे सिर्फ पूछ लेने भर से सामने वाले को इसके वायरस लग जाएंगे। लेकिन अब एड्स के प्रति लोगों में बढ़ रही जागरूकता ने वाकई अपना असर दिखाया है। पहले के मुकाबले एचआईवी/एड्स पीड़ित व्यक्तियों की संख्या में गिरावट आई है। एचआईवी सबसे पहली बार 19वीं सदी की शुरुआत में जानवरों में मिला था। माना जाता है कि इंसानों में यह चिंपैंजी से आया था। साल 1959 में कांगो के एक बीमार आदमी के खून का नमूना लिया गया। कई साल बाद डॉक्टरों को उसमें एचआईवी वायरस मिला। माना जाता है कि यह पहला एचआईवी संक्रमित व्यक्ति था। इसके बाद से दुनिया भर के लोगों में एड्स को लेकर जागरूकता फैलाने के अभियान शुरू हो गए। कॉन्डोम के इस्तेमाल को केवल परिवार नियोजन के लिए ही नहीं, बल्कि एड्स से बचाव के रूप में देखा जाने लगा। 1988 से हर साल एक दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे के रूप में मनाया जाता है। हालांकि हेल्थ रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले कुछ सालों में एड्स के मामलों में गिरावट आई है, लेकिन आज भी देश में करीब 25 लाख लोग इस भयंकर बीमारी से पीड़ित हैं। आइए जानते हैं HIV पॉजिटिव होने के लक्षण और इससे जुड़ी अन्य जानकारियों के बारे में।

किसे कहते हैं एच.आई.वी –

एचआईवी पॉजिटिव होना या एड्स अपने आप में कोई बीमारी नहीं हैं, बल्कि इसकी वजह से बीमारियों से लड़ने की शरीर की क्षमता कम हो जाती है और तरह- तरह बीमारियां अटैक कर देती हैं। एचआईवी जिसका पूरा नाम है ह्यूमन इम्यूनो डैफिशिएंसी वायरस। यह एक ऐसा वायरस होता है, जिसकी वजह से एड्स होता है। यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है। जिस इंसान में इस वायरस की मौजूदगी होती है, उसे एचआईवी पॉजिटिव कहते हैं। आमतौर पर लोग एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब ही एड्स समझने लगते हैं, लेकिन ये सच्चाई नहीं है।

 

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एड्स क्या होता है – 

 

आप किसी HIV पॉजिटिव व्यक्ति को तब तक एड्स ग्रस्त रोगी नहीं कह सकते हैं, जब तक HIV वायरस व्यक्ति के शरीर पर पूरी तरह से हमला न बोल दें। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 8 से 10 साल का समय लगता है। दरअसल एचआईवी के शरीर में दाखिल होने के बाद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है और शरीर पर कई तरह की बीमारियां और इन्फेक्शन पैदा करने वाले वायरस अटैक करने लगते हैं। एचआईवी पॉजिटिव होने के करीब 8 से 10 साल बाद इन तमाम बीमारियों के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। इस स्थिति को ही एड्स ( AIDS- Acquired Immunodeficiency Syndrome) कहा जाता है। वैसे, एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद से एड्स होने तक के गैप को दवाओं की मदद से बढ़ाया जा सकता है और कुछ बीमारियों को ठीक भी किया जा सकता है।

 

एचआईवी/एड्स सिर्फ इन 5 कारणों से ही फैलता है – 

 

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पहला कारण – HIV पॉजिटिव पुरुष या महिला के साथ असुरक्षित (कॉन्डम यूज किए बिना) सेक्स से, चाहे सेक्स होमोसेक्सुअल ही क्यों न हो। भारत में एचआईवी/एड्स की सबसे अहम वजह यही है। देश में एड्स के जो भी मामले हैं, उनमें से 86 फीसदी असुरक्षित सेक्स संबंधों की वजह से हैं।

 

दूसरा कारण –  HIV संक्रमित खून चढ़ाने से। इसकी वजह से एड्स होने के मामले 2.57 फीसदी हैं।

 

तीसरा कारण – एचआईवी पॉजिटिव महिला से पैदा हुए बच्चे में। बच्चा होने के बाद एचआईवी ग्रस्त मां के दूध पिलाने से भी ये वायरस फैल सकता है।

 

चौथा कारण – खून का सैंपल लेने या खून चढ़ाने में डिस्पोजेबल सिरिंज (सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल में आने वाली सुई) न यूज करने से या फिर स्टरलाइज किए बिना नीडल और सिरिंज यूज करने से। 1.97 फीसदी मामलों में इसकी वजह से एड्स होता है।

 

पांचवा कारण – हेयर ड्रेसर (नाई) के यहां बिना स्टरलाइज्ड (रोगाणु-मुक्त) उस्तरा, पुराना इन्फेक्टेड ब्लेड यूज करने से। सलोन में हमेशा नया ब्लेड यूज हो रहा है, यह सुनिश्चित करें।

 

एचआईवी/एड्स के बारे में क्या कहते हैं डॉक्टर

 

HIV पॉजिटिव होने का मतलब आमतौर पर जिंदगी का अंत मान लिया जाता है, पर यह अधूरा सच है। डॉक्टरों की सलाह के मुताबिक चला जाए तो ऐसे लोग लंबे समय तक सामान्य जीवन जी सकते हैं। अगर किसी व्‍यक्ति को एड्स हो गया है और रोगी को एंटी-रेट्रोवायरल उपचार नहीं दिया जा रहा तो आमतौर पर 12 से 18 महीनों में उसकी मौत हो सकती है। लेकिन वहीं एंटी-रेट्रोवायरल उपचार पर व्‍यक्ति लम्‍बे समय तक सामान्‍य जीवन व्‍यतीत कर सकता है। ध्‍यान रहे यह इंफेक्‍शन कभी खत्‍म नहीं होता और रोगी को ताउम्र इसकी दवाओं का सेवन करना पड़ता है।

एच.आई.वी/एड्स के अहम लक्षण –

 

एड्स अपने आप में कोई बीमारी नहीं है। लेकिन एड्स से पीड़‍ित व्‍यक्ति का शरीर संक्रामक बीमारियों के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है, जो बैक्टीरिया और वायरस आदि से होती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे एड्स होता है) खून में मौजूद प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है। एड्स की शुरुआती स्‍टेज में इसका पता नहीं चल पाता है और व्‍यक्ति को इलाज करवाने में देर हो जाती है। आमतौर पर शुरुआत में इनफ्लुएंजा जैसे लक्षण सामने आते हैं और इसके बाद लंबे समय तक कोई भी लक्षण महसूस नहीं होता है। एचआईवी से संक्रमित होने के बाद ऐसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है जो स्वस्थ इम्यून सिस्टम वाले व्यक्ति को नहीं होती हैं। इसीलिए इसके शुरूआती लक्षणों के बारे में पता होना बहुत जरूरी है।

– गला पकना

 

अगर कोई पर्याप्‍त मात्रा में पानी पीता है और उसके बावजूद भी उसके गले में लंबे समय से खरांश बनी हुई है या फिर वो अपना गला पका हुआ महसूस कर है तो यह एड्स का संभावित लक्षण हो सकता है।

 

– सूखी खांसी आना

 

बहुत दिनों से सूखी खांसी का आना एड्स के लक्षणों में शामिल है। अगर किसी को खांसी नहीं हैं लेकिन मुंह में हमेशा कफ आता रहता है। मुंह का स्‍वाद खराब रहता है। इसमें से कोई भी लक्षण लगने पर एच आई वी टेस्‍ट जरूर करवाएं।

 

– उल्टी आना

 

हर समय मतली आना या फिर खाना खाने के तुरंत बाद उल्‍टी होना या उल्टी जैसा महसूस होना भी शरीर में एचआईवी वायरस के संक्रमण का इशारा करते हैं।

 

– हर समय थकावट महसूस होना

 

बिना ज्‍यादा काम किए या फिर पूरे दिन भर शरीर में थकावट महसूस होना भी एड्स का शुरुआती लक्षण हो सकता है।

 

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– मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होना

 

अगर आप किसी भी तरह का कोई भारी- भरकम सामान उठाने या लादने का काम नहीं करते है और फिर भी मांसपेशियों में तनाव, अकड़न या फिर खिंचाव महसूस होता है तो इस बारे में डॉक्टर की सलाह बहुत जरूरी है।

 

– बुखार का बार- बार आना

 

वैसे तो बुखार आना एक सामान्य बात होती है लेकिन यदि बुखार आपको बार बार आता है और लम्बे समय तक रहता है तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि हर 2-3 दिन में बुखार महसूस होना और तेज बुखार आना एच आई वी का सबसे पहला लक्षण होता है।

 

– धीरे- धीरे वजन का कम होना

 

एचआईवी से ग्रसित व्‍यक्ति का वजन एकदम से नहीं घटता लेकिन धीरे-धीरे शरीर पर प्रभाव पड़ता है और वजन में कमी होती है। अगर किसी का वजन बिना प्रयास के कुल भार का दस प्रतिशत तक कम हो जाता है तो तुरंत जांच करवा लेनी चाहिए।

 

– शरीर पर नीले निशान पड़ना

 

एचआईवी होने पर मुंह, आंखों के नीचे और नाक पर लाल, नीले और बैगनी रंग के निशान पड़ जाते हैं, जिसे आप अक्सर इग्नोर कर देते हैं। इन्हे मामूली धब्बे न समझे बल्कि डॉक्टरी जांच करवाएं।

 

एचआईवी के अन्य लक्षण –

    • ठंड लगना

 

    • भूख कम लगना

 

    • दस्त होना

 

    • स्किन प्रॉब्‍लम

 

    • गिल्टियां होना

 

    • रात में पसीना

 

इनके जरिए पहुंचता है एक स्वस्ठय मनुष्य के शरीर में  HIV का वायरस

 

    • ब्लड

 

    • सीमेन (वीर्य)

 

    • वैजाइनल फ्लूइड (स्त्रियों के जननांग से निकलने वाला द्रव्य)

 

    • ब्रेस्ट मिल्क

 

    • शरीर का कोई भी दूसरा फ्लूड, जिसमें ब्लड का अंश हो।

 

 

एचआईवी/एड्स से जुड़े मिथक – 

 

‘जितने मुंह उतनी बातें’ .. जी हां ये कहावत जिंदगी के हर पहलू में फिट होती है। एचआईवी/एड्स से जुड़ी ऐसी कई गलत जानकारियां हैं जो लोगों के दिमाग में सच्चाई की जगह ले चुकी हैं। तो आइए जानते हैं एचआईवी/एड्स से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथकों के बारे में। यानि कि किन चीजों से नहीं फैलता है वायरस –

 

    • यह खाने और हवा से भी नहीं फैलता।

 

    • हाथ मिलाना, गले मिलना, एक ही टॉइलेट यूज करने से नहीं फैलता

 

    • एक ही गिलास में पानी पीने से, छींकने या खांसने से ये वायरस नहीं फैलता

 

    • डॉक्टर या डेंटिस्ट के पास इलाज कराने से। (जो डॉक्टर स्टरलाइज्ड औजारों का ही इस्तेमाल करते हैं)

 

    • टैटू बनवाने से, बशर्ते औजार स्टरलाइज्ड हों

 

    • मच्छर के काटने से

 

    • सुरक्षित तरीके से रक्तदान करने से भी ये वायरस नहीं फैलता है

 

इन लोगों को HIV होने का है ज्यादा खतरा –

 

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– पुरुषों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने वाले पुरुष

 

हालांकि समलैंगिक (Gay या पुरुषों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने वाले पुरुषों की संख्या कम है, लेकिन उन्हें एचआईवी/एड्स होने का खतरा ज़्यादा होता है।

 

– महिला

 

HIVसे संक्रमित साथी के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने की वजह से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या अच्छी-खासी है। असल में, महिलाओं के एचआईवी से संक्रमित होने का यह सबसे आम कारण है।

 

– युवा

 

अनेक युवाओं में यौन जिज्ञासा काफी ज़्यादा होती है और वह अपने साथियों के प्रभाव के कारण नशा भी करने लगते हैं जिनसे उनका एचआईवी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।

 

– बुजुर्ग

 

ज्यादातर बुज़ुर्ग यह नहीं मानते कि उन्हें एचआईवी संक्रमण हो सकता है इसीलिए वह बिना किसी डर के ऐसी गतिविधियां कर लेते हैं जिनसे उनके एचआईवी से ग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है।

 

– इंजेक्शन से नशा करने वाले लोग

 

इंजेक्शन द्वारा नशीली दवाएं लेने वाले लोगों को एचआईवी/एड्स होने का जोखिम अन्य लोगों के मुकाबले ज़्यादा होता है। 2009 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक लगभग आधे लोग जो इंजेक्शन से नशा करते हैं, एचआईवी से ग्रस्त हैं, उन्हें इसका पता ही नहीं होता।

कैसे कंफर्म करें कि आप HIV पॉजिटिव हैं या नहीं ? 

 

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एचआईवी/एड्स का पता आमतौर पर शरीर में मौजूद एचआई एंटीबॉडी से पता लगता है। इसका सबसे आम टेस्ट एलिसा (ELISA Tests for HIV)है।  एलिसा टेस्ट शरीर की प्रतिरोधक क्षमता और संक्रमण से जुड़ा टेस्ट है। एक बार एलिसा (या रैपिड / स्पॉट परीक्षण) कराने पर कई बार एचआईवी संक्रमण को पकड़ पाना पूरी तरह से मुमिकन नहीं होता। इसके लिए दोबारा टेस्ट कराने की जरूरत भी पड़ सकती है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक एचआईवी का पता लगाने यानि डाइग्नोसिस के लिए ईआरएस (ELISA, Rapid or Spot)को दोहराने की जरूरत हमेशा होती है। इस संक्रमण के लिए पहले किए जाने वाले वेस्टन बेल्ट टेस्ट (Western Blot Tests for HIV) की अब सलाह नहीं दी जाती। एक ही पॉजिटिव टेस्ट संक्रमण की सही पुष्टि नहीं करता, इसके लिए हमेशा दोबारा टेस्ट कराना चाहिए।

क्या करें जब पता चले कि आप HIV पॉजिटिव हैं या आपको एड्स है ?

 

कई लोगों को यह डर लगता है कि उनके एचआईवी पॉजिटिव होने से उन्हें समाज में बहुत शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी, सामाजिक बहिष्कार होगा या उनके आपसी रिश्ते बिखर जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं है। अब समाज का नजरिया बदल गया है। अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जिसका एचआईवी टेस्ट पॉजिटिव निकलता है तो उसे सबसे पहले डॉक्टर की से परामर्श करना चाहिए। आपको बता दें कि एड्स का इलाज पूरी तरह से मुफ्त है। इसीलिए पैसों की चिंता किये बगैर अपना बेहतर इलाज कराएं। साथ इन बातों का विशेष तौर पर ध्यान भी रखें।

 

    • धूम्रपान और शराब का सेवन न करें।

 

    • असुरक्षित यौन संबंध भूलकर भी न बनाएं।

 

    • अपने शरीर की सफाई पर जरूर ध्यान दें।

 

    • किसी भी तरह की नशीली दवाओं का प्रयोग न करें।

 

    • समय पर अपनी दवाएं लें, इसे लेकर किसी भी तरह की लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है।

 

    • अपनी जीवनशैली में सुधार करें।

 

    • रोजाना योग करें।

 

 

एचआईवी/एड्स की दवा – HIV Medicine

 

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वैसे तो आज तक एचआईवी के रोकथाम के लिए कोई टीका नहीं बन पाया है। यह वायरस कई तरह का होता है और शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली पर बुरा असर डालता है। वैज्ञानिकों के लिए यह टीका आज भी चुनौती बना हुआ है। साल 1987 में पहली बार एड्स से लड़ने के लिए एक दवा तैयार की गई। लेकिन इसके कई साइड इफेक्ट्स थे और मरीजों को दिन में कई खुराक लेनी पड़ती थी। 90 के दशक के अंत तक इसमें सुधार आया। ओरा क्विक टेस्ट के जरिए ये दावा किया गया कि लार के परीक्षण से 20 मिनट में बताया जा सकता है कि शरीर में एचआईवी वायरस है या नहीं। हालांकि अब एचआईवी-एड्स के लिए बहुत सी दवाइयां भी उपलब्ध हैं।

एचआईवी एक ऐसा वायरस है, जिस वजह से एड्स होता है। यह बीमारी बॉडी में HIV वायरस के एक्टिव होने पर होती है। यह वायरस बॉडी में इंफेक्शन पैदा कर इम्यून सिस्टम को कमजोर करने लगता है। ऐसे में मरीज को छोटी-मोटी बीमारियों में भी बहुत परेशानी होती है। एचआईवी से संक्रमित होने पर काफी दिनों बाद भी इस बीमारी के लक्षण पता चल पाते हैं, लेकिन यदि सावधानी बरती जाए तो समय रहते इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।

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