नई दिल्ली। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) सेक्टर की प्रमुख कंपनी इंफोसिस ने शेयर मार्केट में लिस्टिंग के 25 साल पूरे कर लिए हैं। इंडियन शेयर मार्केट में इस आईटी कंपनी का बीते 25 सालों का सफर कई मायनों में खास है। कंपनी जहां एक ओर अपनी सिल्वर जुबली मना रही है वहीं इसमें शुरुआती तौर पर पैसा लगाने वाले अब मालामाल हो चुके हैं।
14 जून 1993 को लिस्ट हुई इस कंपनी ने इतने वर्षों के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। गौरतलब है कि बीते साल इन्फोसिस का बोर्ड रुम विवाद खुलकर सामने आ गया था जिसमें विशाल सिक्का को इस्तीफा देना पड़ा था, जिसके बाद नंदन निलेकणि ने नॉन एक्जिक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर कमान संभाल ली थी।
कंपनी में पैसा लगाने वाले बने करोड़पति: इस कंपनी में शुरूआती तौर पर निवेश करने वाले आज करोड़पति बन चुके हैं। चलिए उदाहरण से समझाते हैं अगर आपने शुरुआती समय में इंफोसिस में 10,000 रुपये का भी निवेश किया होता, तो आज इसकी वैल्यू 2.55 करोड़ रुपये हो गई होती। फिलहाल कंपनी का मार्केटकैप 2.77 लाख करोड़ रुपये का है।
14 जून 1993 को शेयर बाजार में लिस्ट हुई इंफोसिस ने 25 साल में कई तरह के उतार चढ़ाव देखे हैं। यह कंपनी टीसीएस के बाद आईटी सेक्टर की दूसरी बड़ी दिग्गज कंपनी है। कंपनी सिर्फ आईटी कंपनी के दायरे में ही सीमित नहीं रही बल्कि वो एक ब्लूचिप कंपनी भी बनकर उभरी। इंफोसिस ने कॉर्पोरेच गवर्नेंस को एक अलग परिभाषा देते हुए शानदार रिटर्न भी दिया।
इंफोसिस कंपनी की शुरुआत साल 1981 में हुई थी। इस साल एन आर नारायणमूर्ति ने अपने 6 दोस्तों के साथ इंफोसिस की शुरुआत की थी। इंफोसिस ने 250 डॉलर की पूंजी के साथ पुणे में शुरुआत की थी। जानकारी के लिए आपको बता दें कि ये शेयर मार्केट में लिस्ट होने वाली पहली आईटी कंपनी थी। इंफोसिस का आईपीओ फरवरी 1993 में आया और इसकी लिस्टिंग जून 1993 में हुई।
कर्मचारियों की संख्या ही नहीं रेवेन्यू भी बढ़ा: बेंगलुरू मुख्यालय स्थित इस कंपनी के शुरुआती दौर में कर्मचारियों की संख्या 250 से भी कम थी हालांकि वर्ष 2017 में कर्मचारियों की संख्या 2 लाख के आंकड़े को पार कर गई। वहीं लिस्टिंग के दौरान कंपनी का रेवेन्यू 5 मिलियन डॉलर यानी करीब 33.80 करोड़ रुपये था, जो मार्च 2018 तक 61,941 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच गया।
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