मुंबई- उत्तरभारतीयों के ओबीसी और एससी समाज की तीन सूत्री मांगों को लेकर सोमवार को मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम के नेतृत्व में एक शिष्ठमंडल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री के सरकारी आवास वर्षा पर हुई इस मुलाकात में उत्तर भारतीय ओबीसी और एससी समाज की 50 से अधिक प्रमुख जातियों के प्रतिनिधि शामिल थे। निरुपम ने मुख्यमंत्री को बताया कि उत्तर भारतीय ओबीसी समाज के लोग लाखों की संख्या में मुंबई और आस-पास के इलाकों में दो-तीन पीढ़ियों से रह रहे हैं। इसमें विश्वकर्मा, कुर्मी, कोइरी, यादव, पाल, कनौजिया, गुप्ता, चौरसिया, मौर्या और राजभर समाज के लोग प्रमुख हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखित में ज्ञापन सौंप कर मांग की कि उत्तर भारत से ओबीसी समाज के जो लोग पीढी दर पीढ़ी से महाराष्ट्र में आकर बस गए हैं। उन्हें भी महाराष्ट्र में ओबीसी समाज की पहचान मिलनी चाहिए। ओबीसी समाज की कई जातियों के नाम और उपनाम अलग-अलग हैं। चूंकि यह समाज एक ही है। लिहाजा इन्हें महाराष्ट्र में ओबीसी वर्ग की मान्यता मिलनी चाहिए।
निरुपम ने सबसे अहम मांग मुख्यमंत्री से की वह यह कि सभी ओबीसी, एससी और एसटी समाज के लोगों के लिए जाति प्रमाण पत्र देते वक्त सिर्फ डोमेसाइल सर्टिफिकेट की शर्त ही रखी जाए। साथ ही जाति प्रमाण पत्र के लिए पुराने सबूत मांगने की व्यवस्था रद्द कर, सिर्फ यहां का निवास प्रमाण पत्र होने की बात ही मुख्य शर्त के रूप में घोषित किया जाए।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने शिष्ठमंडल में शामिल विभिन्न समाज के लोगों को अपनी-अपनी मांग अलग से लिखित में दोबारा देने का निर्देश दिया और उसे ओबीसी विभाग के सचिव को जल्द से जल्द सुलझाने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर भारतीय ओबीसी समाज के लोगों को जाति प्रमाणपत्र सभी दस्तावेज दिए जाने के बावजूद क्यों नहीं मिल रहे हैं या फिर देरी क्यों हो रही है। मामले की जांच कर उचित आदेश पारित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने शिष्ठमंडल को बताया कि तीसरी मांग के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया हुआ है। लिहाजा वह मांग केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के अधीन आती है। बावजूद इसके राज्य सरकार की ओर से जो सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
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