नई दिल्ली। दीवान हाउसिंग फाइनांस लिमिटेड यानी डीएचएफएल ने आम लोगों की कमाई के 31,000 करोड़ रुपए की हेराफेरी की और इससे निजी संपत्ति बनाई। इसके लिए डीएचएफएल ने फर्जी कंपनियों का सहारा लिया। यह खुलासा किया है कोबरापोस्ट ने।
कोबरा पोस्ट ने एक खुलासे में दावा किया है कि यह घोटाला फर्जी कंपनियों को कर्ज और अग्रिम भुगतान (लोन एंड एडवांस) के साथ दूसरे तरीके अपनाकर किया गया। खुलासे में दावा किया गया है कि इस घोटाले में संदिग्ध कंपनियों का इस्तेमाल कर पैसे की हेराफेरी की गई और संपत्तियां हासिल करने के लिए बहुत सारा पैसा देश के बाहर भेज दिया गया।
कोबरापोस्ट की जांच में कहा गया है कि डीएचएफएल ने बीजेपी के दिए 20 करोड़ के चंदे को भी कम करके घोषित किया। दावे के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 और 2016-17 में कंपनी ने सत्तारूढ़ बीजेपी को 19.5 करोड़ का चंदा दिया। यह आरकेडब्ल्यू डेवलेपर्स प्राइवेट लिमिटेड, स्किल रियाल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड और दर्शन डेवलेपर्स प्राइवेट लिमिटेड के जरिए दिया गया। यह सभी कंपनियां वाधवान परिवार की हैं।
जांच में दावा किया गया है कि आरकेडब्ल्यू ने अपनी बैलेंस शीट में 2014-15 के दौरान किसी भी चंदे का जिक्र नहीं किया है। इसी तरह स्किल रियाल्टर्स ने बी 2014-15 में बीजेपी को 2 करोड़ रुपए दिए, लेकिन अपनी बैलेंस शीट में जिक्र नहीं किया।
कोबरापोस्ट ने इस सिलसिले में दिल्ली में मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर इस घोटाले का पर्दाफाश किया। कोबरापोस्ट ने इसे देश का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला बताया है। कोबरापोस्ट की टीम का दावा है कि इस खुलासे में किसी स्टिंग ऑपरेशन का इस्तेमाल नहीं किया गया बल्कि जो भी दस्तावेज़ सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं उनके आधार पर जांच की गई है।
इस प्रेस कांफ्रेंस में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, वरिष्ठ पत्रकार प्रेम शंकर झा, हेमेंद्र हज़ारी, जोसी जोसेफ, प्रांजॉय गुहा ठाकुरता, अनिरुद्ध बहल और वरिष्ट वकील प्रशांत भूषण मौजूद थे।
खुलासे में बताया गया कि दीवान हाउसिंग फाइनांस लिमिटेड की कुल पूंजी 8,700 करोड़ है और उसने पब्लिक डिपॉज़िट और कर्ज के जरिए 96,000 करोड़ रुपए इकट्ठा किए। जांच में बताया गया कि, “बैंकों ने डीएचएफएल को 37,000 करोड़ रुपए दिए। जिन बैंकों ने उसे पैसे दिए उसमें स्टेट बैंक ने 11,500 करोड़ रुपए और बैंक ऑफ बड़ौदा ने 5,000 करोड़ रुपए दिए।”
खुलासे में दावा किया गया है कि डीएचएफल के फंड में से करीब 21,477 करोड़ रुपए विभिन्न फर्जी कंपनियों को कर्ज और निवेश के तौर पर ट्रांसफर किए गए। इसके लिए कंपनी ने कार्पोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री को कोई सूचना नहीं दी। पैसे के लेनदेन के तार दर्जनों फर्जी कंपनियों तक पहुंच कर गुम हो जाते हैं, लेकिन इन सभी कंपनियों का संबंध डीएचएफल के प्रोमोटर वाधवान परिवार से है।
कोबरापोस्ट के एडिटर अनिरुद्ध बहल ने दावा किया कि यह घोटाला कम से कम 31,000 करोड़ रुपए का है। खुलासे में कोबरापोस्ट ने कहा है कि इस पैसे से भारत और विदेशों में निजी संपत्तियां खरीदी गईं। जिन देशों में इस पैसे से संपत्तियां खरीदी गईं उनमें यूके, दुबई, श्रीलंका और मारीशस शामिल हैं।
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