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Friday 8 February 2019

मद्रास उच्च न्यायालय ने चिन्ना थम्बी हाथी पर रिपोर्ट मांगी

सैकड़ों ग्रामीण धरने पर बैठे – पशु प्रेमियों ने जनहित याचिका दायर की

चेन्नई ब्यूरो से डॉक्टर आर. बी. चौधरी
चेन्नई (तमिलनाडु)। मद्रास उच्च न्यायालय ने वन विभाग को कोयंबटूर के पास थडगाम घाटी के एक 25 वर्षीय जंगली हाथी “चिन्ना थम्बी” के व्यवहार को देखते हुए उचित स्थल पर ले जाने लिए निर्देश दिए हैं । यहां यह बताना होगा कि चिन्ना थंबी नामक जंगली हाथी पिछले सप्ताह सुदूर छोड़ने के बाद वह अपने मनपसंद जगह पर बार बार वापस आ जाता था। पिछले हफ्ते से कोशिश की जा रही थीकि उसेप्रशिक्षित करपालतू हाथियों के श्रेणी में शामिल कर दिया जाए। इस मामले में इस समय काफी बवाल मचा हुआ है। इस जंगली हाथी चिन्ना थंबी के प्रशंसक चाहते हैं कि वन विभाग उसके प्राकृतिक आवास पर छोड़ें न कि उसे पालतू हाथियों के कैंप में शामिल करा कर पालतू हाथी बनाया जाए। अब यह मामला कोर्ट मेंजा पहुंचा है।

चेन्नई के पशु प्रेमी एस. मुरलीधरन ने चिन्ना थंबी पालतू बनाने से रोकने के लिए एक जनहित याचिका दायर किया है जिसमें यह कहा गया है कि चिन्ना थंबी को जंगल में छोड़ दिया जाए और तंग न किया जाए। याचिका में “मैन एनिमल कनफ्लिक्ट” – मानव एवं पशु संघर्ष के मुद्दे को उठाया गया है और यह कहा गया है कि तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पूर्व जारी निर्देशों के अनुसार ताड़गम घाटी में सभी अवैध ईंट भट्टों को बंद कर देना चाहिए क्योंकि वे जंगली हाथियों के लिए नुकसानदेह है और भट्ठों का सीधा असर उनके रहन-सहन पर पड़ रहा है। मुरलीधरण के वकील एस. पी. चोकालिंगम के अनुसार कोयम्बटूर शहर की बढ़ती आबादी और शहरी क्षेत्र के विस्तार के कारण यह समस्या और जटिल हो रही है। फिर भी,पर्यावरण संरक्षण के नियमों को ताक में रखकर हर साल ईट के भट्टे बढ़ते जा रहे हैं।चोकालिंगम ने कहा कि जंगली जानवरों को उनकी पारंपरिक चारागाह से दूर किया जा रहा है और जंगलों को काटकर आवास बनाए जा रहे हैं। अब जंगली जानवर जंगली चारे के अभाव में रिहायशी इलाके में नहीं आए तो जाएं कहां। जंगली जानवरों के लिए यह परिस्थिति अत्यंत दुखद एवं हानिकारक है। याचिकाकर्ता ने न्यायालय में दाखिलयाचिका में ईट के भट्ठों को जिम्मेदार ठहराया है।याचिकाकर्ता ने बताया कि थडगाम घाटी में बड़ी संख्या में बिना लाइसेंस के ईंट भट्ठों की भरमार है। भट्टों के कारण सांगानुर नहर सूख गई है जो उस क्षेत्र में पानी का एक मुख्य स्रोत है। इस हालात ने हाथियों को रिहायशी इलाके में जाने के लिए मजबूर कर दिया है।

मद्रास उच्च न्यायालय के जस्टिस एस. मानिकुमार और सुब्रमोनियम प्रसाद की खंडपीठ को राज्य सरकार की ओर से सरकारी याचिकाकर्ता (वन) एस.वी. विजय प्रशांत ने अदालत को बताया कि चिन्ना थंबी हाथी इस समय कोयंबटूर के उदुमलपेट में चल रही एक शिविर में शामिल किया गया है। सरकारी याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि वन विभाग के इस शिविर में गुस्सैल हाथियों को प्रशिक्षित करने हेतु कार्यक्रम चला रहा है जिसमें चिन्ना थंबी को भी सम्मिलित किया गया है ।

खंडपीठ ने राज्य सरकार को एक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। साथ साथ स्टेटस रिपोर्ट माँगा है।सूत्रों के अनुसार अदालत अगली सुनवाई 11 फरवरी को होगी। इस निर्णय के विरोध में तमिलनाडु के पशु प्रेमी सामने आ गए हैं। वहीं ,रिहाईसी इलाके से दूर-दराज छोड़ने की मांग को लेकर कृष्णापुरम स्थित उदुमलपेट-पलानी राजमार्ग पर 150 से अधिक ग्रामीणों ने धरना दे दिया है। ज्ञात रहे पिछले 5 दिनों सेएक गन्ने के खेत में चिन्ना थंबी डेरा डाले हुए था। किंतु , इस समय वह वन विभाग के कब्जे है।

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