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Tuesday 12 March 2019

प्रियंका और फूलपुर…कुछ तो चल रहा!

-नाना पंडित नेहरू और बुआ विजय लक्ष्मी पहली बार यहीं से चुनकर संसद पहुंचीं
-वर्तमान में पूर्वी यूपी की है कमान, यकायक पार्टी हाईकमान कर सकता है ऐलान

रवि गुप्ता
लखनऊ। गांधी परिवार का होने के नाते अभी से पहले प्रियंका का नाम केवल उनकी मां सोनिया और भाई राहुल गांधी के राजनीतिक कार्यों के चलते सुर्खियों में आता-जाता रहा। आलम यह रहा कि पहले जब कभी प्रियंका यूपी में अपने परिवार की दो परंपरागत सीटों क्रमश: रायबरेली और अमेठी के चुनावी दौरे पर पहुंची तो अक्सर यह भी चर्चायें गरमाने लगीं कि जल्द ही वो सक्रिय राजनीति का हिस्सा बन सकती हैं। लेकिन जब पार्टी हाईकमान ने बीते कुछ दिनों पहले यकायक प्रियंका गांधी वाड्रा को राष्ट्रीय महासचिव का पदभार देने के साथ ही पूर्वी यूपी प्रभारी की कमान सौंपी तो उनकी सक्रिय राजनीति में इंट्री के साथ ही आगे का भी रास्ता खुल गया। कांग्रेस पार्टी से जुडेÞ कुछ विश्वस्त सूत्रों की मानें तो भले ही लगातार यह कहा जा रहा है कि प्रियंका यूपी में अपनी नई जिम्मेवारी के साथ केवल पार्टी संगठन को मजबूत करने का काम करेंगी, मगर अंदरखाने में तो यह भी सुगबुगाहट चल रही है कि प्रियंका को फूलपुर संसदीय सीट से लड़ाया जा सकता है। अब जबकि 2019 के लोकसभ चुनाव की दुदुंभी बज चुकी है और चुनाव आयोग ने तारीखों का भी ऐलान कर दिया है, ऐसे में हर एक पार्टी दूसरे दलों की चुनावी रणनीति पर नजरें गड़ाये हुए हैं। अन्य दलों की तरह कांग्रेस में भी जिताऊ उम्मीदवारों को पहले राजनीतिक कसौटी पर कसा जा रहा है और फिर केंद्रीय टीम से हरी झंडी मिलने के बाद एक-एक करके प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की जा रही है। वहीं कांग्रेस ने इस मामले में देरी न करते हुए अपनी पहली लिस्ट जारी होने के साथ ही सोनिया, राहुल समेत यूपी के अपने कुछ प्रमुख नेताओं के लोकसभा चुनाव लड़ने को सार्वजनिक कर दिया। अब सोच-विचार प्रियंका को लेकर चल रहा है कि देर-सवेर सक्रिय राजनीति में आने पर उन्हें प्रदेश में केवल पार्टी संगठन के कार्यों से ही जोड़कर रखा जाये या फिर उन्हें 2019 के चुनावी समर में उतारकर उनके राजनीतिक कैरियर को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया जाये। वहीं जब इस मसले पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ नेताओं से बात की गई तो पहले कुछ कहने से बचते रहें, मगर कुछ का यही कहना रहा कि प्रियंका को फिलहाल अभी चुनाव नहीं लड़ाया जा सकता। हालांकि जिस अंदाज में कांग्रेस आलाकमान ने सारे राजनीतिक कयासों व अटकलों को विराम लगाते हुए अचानक प्रियंका को यूपी में बड़ा दायित्व सौंपा, ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आने वाले दिनों में यदि पार्टी को जरूरत महसूस हुई तो उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारा भी जा सकता है।

वीपी सिंह को भी संसद के संसद के दर्शन कराये फूलपुर ने
लखनऊ। इलाहाबाद से सटे फूलपुर संसदीय सीट से गांधी परिवार का बहुत पुराना नाता रहा है। भारतवर्ष के पहले प्रधानमंत्री और गांधी परिवार के प्रमुख राजनीतिक स्तंभ पंडित जवाहर लाल नेहरू पहले 1957 और फिर बाद में 1962 के लोकसभा चुनावों में इलाहाबाद से सटे फूलपुर संसदीय सीट से ही विजयी होकर संसद पहुंचे थे। यही नहीं पंडित नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित भी दो बार क्रमश: 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में इसी सीट से चुनकर संसद पहुंची। इसी कड़ी में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी व मांडा राजा नाम से विख्यात विश्वनाथ प्रताप सिंह भी 70 के दशक में फूलपुर सीट से चुनकर लोकसभा पहुंचे। इस सीट पर कांगे्रसी परचम फहराये रखने की बात करें तो आखिरी बार 1984 में रामपूजन पटेल इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए और उसके बाद से यह सीट कांग्रेस के खाते में वापस नहीं आ सकी। बीते लोकसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य जोकि वर्तमान में योगी सरकार में डिप्टी सीएम हैं, विजयी रहें। लेकिन बाद में फुलपुर उपचुनाव में उन्हें सपा के टिकट पर नागेंद्र सिंह पटेल ने शिकस्त दी। वहीं राजनीतिक जानकारों की मानें तो अब यही सही समय है जब कांग्रेस इस सीट पर अपने परिवार की खोयी राजनीतिक साख को फिर से वापस पा सकती है और इसके लिए प्रियंका से बेहतर और कोई विकल्प नहीं हो सकता।

भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ल गृह जनपद सुल्तानुपर से लड़ेगे चुनाव!
लखनऊ, 12 मार्च (तरूणमित्र)। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्र्रेम शुक्ल अपने गृह जनपद सुल्तानपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहें। बताया जा रहा है कि उनकी इस सीट से उम्मीदवारी लगभग तय है। शुक्ल सुल्तानपुर की लम्भुआ विधानसभा के प़तापपुर कमैचा ब्लाक (चांदा) गाम बनभोकार के मूल निवासी हैं। कक्षा एक से पांच तक न्याय पंचायत शाहपुर के प्राथमिक विद्यालय और कक्षा छह से स्नातक महाराष्ट्र राज्य के मुंबई से शिक्षा ग्रहण की है। वहीं महाराष्ट्र के औरंगाबाद में निर्भय पथिक से पत्रकारिता के क्षेत्र में पहली बार उन्होंने कदम रखा। उसके बाद मुंबई से प्रकाशित दोपहर का सामना अखबार में बतौर संवाददाता और मुख्य संवाददाता व ब्यूरो प्रमुख पद पर लेखनी को मजबूत करते हुए सामना में ‘कार्यकारी संपादक’ पद का दायित्व बखूबी संभाला। इसके पश्चात शिव सेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे ने अपनी पार्टी का पक्ष रखने के लिए उन्हें प्रवक्ता व फिर स्टार प्रचारक की भी जिम्मेदारी सौंपी। 2015 से भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा में शामिल करके, उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी सौंपी। स्थाानीय जनपद वासियों का कहना है कि मुंबई में काफी लम्बे समय तक रहने के बावजूद प्रेम शुक्ल का अपनी मातृभूमि व गृह जनपद सुल्तानपुर से बेहद लगाव रहता है। वह सुल्तानपुर के विभिन्न कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर शामिल होने के साथ अपने पैतृक गांव बनभोकार बराबर आते-जाते रहते हैं।

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