गुरुकुल परंपरा को जागृत करना आज की आवश्यकता : गिरीश भाई शाह | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Sunday 17 March 2019

गुरुकुल परंपरा को जागृत करना आज की आवश्यकता : गिरीश भाई शाह

स्वयं को टटोलिये कि हम किस चौराहे पर खड़े हैं-

तमिलनाडु ब्यूरो से डॉक्टर आर.बी. चौधरी
चेन्नई (तमिलनाडु)। शिक्षा का मतलब है कि हम एक अच्छा इंसान बन सके. हमारा विवेक और दूरदृष्टि विकसित हो जाए जो दुनिया भर में इंसानियत का एक नया इतिहास गढ़ सके. इसके लिए जरूरी है बेहतर शिक्षा क्योंकि शिक्षा ही किसी शिशु के सर्वोत्तम विकास के पायदान पर ले जाती है। जहां सुशिक्षित बालक देश की धरोहर बन जाता है. आज के विकास के युग में ऐसी शिक्षा का वातावरण कहीं धीरे धीरे हमारे बीच से अलग हो रहा है और हमारी मानसिकता कहीं पर संकुचित हो रही है, यह बात समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी , गिरीश भाई शाह ने कही. मुंबई से आये गिरीश शाह चेन्नई के रेड हिल क्षेत्र में स्थित जैन मंदिर में गुरुकुल शिक्षा पद्धति के बारे में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे और अपने संबोधन में आगंतुकों से अनुरोध किया और कहा कि गुरुकुल परंपरा को जागृत करना आज की बहुत बड़ी आवश्यकता है.

शाह ने कहा कि समाज में परिवर्तन तो शिक्षा के माध्यम से लाया जा सकता है किंतु आज हमें यह टटोलने की जरूरत है कि आखिर हम शिक्षा के मामले में किस चौराहे पर खड़े हैं. क्या हम अपने परंपरा और संस्कृति को भूल रहे है . उपयोगी शिक्षा हमें शिक्षित होने का भान कराती है. आज गुरुकुल पद्धति हमसे कितनी दूर हो गई है कारण कि हम भटक गए हैं. सब कुछ होते हुए भी हमारे पास कुछ नहीं है. गुरुकुल शिक्षा के बारे में उन्होंने कई उदाहरण दिए और अनुरोध किया कि गुरुकुल परंपरा में आधुनिक ज्ञान -विज्ञान और भाषा डाल दिया जाए तो पहले की तरह सर्वश्रेष्ठ हो जाएगा. इसलिए आज मॉडर्न बनाने के लिए के सभी आवश्यक पाठ्यक्रमों को डालकर आकर्षक जा सकता है और गुरुकुल परंपरा के शिक्षण पद्धति का नैसर्गिक मानसिक विकास का फायदा उठाया जा सकता है जो आज हमारे बीच से गायब हो रहा है. इसका बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है . अपना विश्वास है कि गुरुकुल से निकला बच्चा कम समय में पाठ्यक्रम पूरा कर विश्व पटल पर अपनी प्रतिभा का प्रतिमान स्थापित करने की क्षमता रखता है. शाह ने सभी आगंतुकों से अनुरोध किया कि गुरुकुल में पढ़ने वाले बच्चों को कमजोर मत समझें और नहीं ताना मारे . इस नकारात्मक सोच से बचिए.

इस कार्यक्रम में अल्पसंख्यक आयोग तमिलनाडु के सदस्य सुधीर लोढ़ा ने “लॉजिकल थिंकिंग” विकसित करने एवं उसके महत्व की व्याख्या करते हुए कहा कि मस्तिष्क सही -झूठ का निर्णय तब ले सकता है जब बच्चे तार्किक शक्तियां विकसित हो और बच्चे को ऐसा ज्ञान दिया जाए कि वह दोनों में अंतर समझने विवेक का इस्तेमाल करें और तदनुसार निर्णय ले . “लॉजिकल नॉलेज” संस्कारी शिक्षा पद्धति से ही जल्दी विकसित किया जा सकता है. जिसमें मानवीय मूल्यों का समावेश होने की वजह से बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति अत्यंत तेज हो जाती है और उसकी विश्लेषणात्मक शक्तियां दूसरे बच्चों के तुलना में कई गुना अधिक होती है. मुंबई गुरुकुल के संचालक मेहु शाह लैंग्वेज , नॉलेज , क्रिएटिविटी और विजन पावर को बढ़ाने के बारे में गुरुकुल शिक्षा पद्धति की सराहना की और कहा कि आज बच्चों संस्कारी बनाना अत्यंत आवश्यक है. आज एक अभिभावक घर और परिवार के सारे ऐसो आराम की वस्तुएं उपलब्ध कर लेता है और अपने को विजेता समझता है किंतु सब कुछ जीत कर अशांत दुख से पीड़ित रहता है.

कार्यक्रम के दौरान बीच-बीच में बच्चों के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए.जिसमें गुरुकुल के बच्चों के अनेक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए.बच्चों के कार्यक्रम का सबसे रोचक प्रस्तुति रहा है -“माइंड पावर ” का करतब जिसमें बड़े-बड़े कैलकुलेशन बच्चों ने मुंह जबानी बताकर सबको चौंका दिया. यह आयोजन श्री आदि पार्श्वनाथ जैन आर्य संस्कार विद्यापीठ (गुरुकुलम) के तत्वावधान में जैन धर्म गुरु श्रीमद विजय रत्नाचल सुरेश्वर जी महाराज के मार्गदर्शन में केसरवाडी स्थित मंदिर के प्रांगण में आयोजित किया गया था जिसमें 2,600 प्रतिनिधि शरीक हुए।

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad