नई दिल्ली। कांग्रेस ने मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित को आज जमानत मिलने पर कहा कि इससे किसी आरोपी का गुनाह या बेगुनाही साबित नहीं होती, हालांकि उन्होंने राष्ट्रीय जांच एजेंसी के प्रमुख के पद पर किसी व्यक्ति की नियुक्ति न किये जाने पर हैरानी जतायी है।
पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां पार्टी मुख्यालय में कर्नल पुरोहित की जमानत से जुडे़ सवाल पर कहा कि जमानत देना अदालत के अधिकार क्षेत्र में आता है। कई मामलों में वह आरोपी को तुरंत जमानत दे देती है और कई बार संगीन मामलों में अपने विवेक का इस्तेमाल करके बाद में देती है। जमानत से किसी आरोपी का गुनाह या बेगुनाही साबित नहीं होती।
उन्होंने कहा कि यह मामला निचली अदालत में विचाराधीन है और अभी इसमें आरोपपत्र दाखिल होना है। यदि किसी को लगता है कि उसे न्याय नहीं मिल रहा है तो वह ऊपरी अदालत में जा सकता है।
वर्ष 2008 में मालेगांव विस्फोट मामले की जांच कर रही एनआईए की भूमिका से जुुड़े सवाल पर प्रवक्ता ने कहा कि वह इस पर कोई अटकलबाजी नहीं कर सकते। तिवारी ने जैन हवाला मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि न्यायालय ने स्पष्ट कहा था कि जांच एजेंसियों के प्रमुखों का कार्यकाल तय होना चाहिए ताकि वे बिना किसी दबाव के स्वतंत्र रूप से जांच कर सकें ।
तिवारी ने इस बात पर हैरानी जतायी कि पिछले तीन वर्षों में मोदी सरकार को एनआईए के प्रमुख पद के लिए एक भी योग्य अधिकारी नहीं मिला। सरकार पर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि इस पर सरकार को जवाब देना चाहिए।
इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भी एक अभियुक्त हैं, उन्हें बीती अप्रैल में ही बॉम्बे हाईकोर्ट की ओर से ज़मानत दी गई है।
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