नई दिल्ली। व्हाट्सऐप ने कहा कि यह अपने मंच से फर्जी खबरों के फैलाए जाने पर रोक लगाने के तरीके तलाश रहा है।
व्हाट्सऐप सॉफ्टवेयर इंजीनियर अलान काओ ने इस स्थिति को पेचीदा करार दिया क्योंकि इस पर संदेश भेजने वाले और उसे पाने वाले के अलावा उसे कोई और नहीं पढ़ सकता।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, हम निश्चित तौर पर अपने मंच पर फर्जी खबरें नहीं देखना चाहते और क्या फर्जी है या क्या नहीं है, उसे तय करना एक पेचीदा समस्या है। दो लोगों के बीच के संदेश को हम नहीं पढ़ सकते।
उन्होंने कहा कि फेसबुक के मालिकाना हक वाली यह कंपनी विभिन्न तरीके तलाश रही है जिनके जरिए वह फर्जी खबरों को कम कर सकें।गौरतलब है कि ऐसे कई उदाहरण हैं जब व्हाट्सऐप पर फर्जी खबरें फैलाई गई। जैसे कि नये करेंसी नोटों पर एक जीपीएस चिप का होना और मुजफ्फरनगर दंगों का वीडियो।
भारत में 20 करोड़ से अधिक लोग व्हाट्सऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। काओ ने कहा कि व्हाट्सऐप फर्जी खबरों के फैलने को रोकने के लिए कदम उठा रहा, जिनमें उपयोगकर्ताओं को यह जानकारी देना भी शामिल है कि उन्हें किसी खबर या सूचना को साझा करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करनी चाहिए।
पिछले महीने केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि व्हाट्सऐप के जरिए आपत्तिजनक वीडियो साझा करने के उदाहरण पाए गए हैं।काओ ने कहा कि जो कुछ भी कदम उठाया जाएगा उसमें निजता की हिफाजत पर मुख्य रूप से जोर रहेगा।
भारत में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर दावा किया गया है कि व्हाट्सऐप की 2016 की निजता नीति के बाद कंपनी ने वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए निजी डेटा साझा किये और अन्य डेटा एकत्र किए।इस मामले पर सितंबर में सुनवाई होनी है।
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