लखनऊ। सृजन के देवता विश्वकर्मा जयंती पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने निर्माण एवं तकनीक से जुड़े विशेषज्ञों को बधाई दी है। अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अवसर सृजन के प्रति प्रतिबद्धता को और बढ़ाता है। प्रतिबद्धता बढ़ने के साथ ही विकास कार्य भी मानक और गुणवत्ता से होते हैं। विकास की योजनाएं धरातल पर उतरती हैं तो लोगों को लाभ होता है। विधान सभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने अपने बधाई संदेश में कहा है कि आदि काल से ही विश्वकर्मा अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण पूजनीय हैं। सृष्टि के शिल्पी, तकनीकी और विज्ञान के जनक भगवान विश्वकर्मा की पूजा देश की तरक्की के लिए जरूरी है। उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने भी विश्वकर्मा जयंती पर प्रदेश वासियों को बधाई दी है।
भगवान विश्वकर्मा हैं निर्माण के देवता
ऐसी मान्यता है कि पौराणिक काल में देवताओं के अस्त्र-शस्त्र और महलों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा ने सोने की लंका, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज, भगवान शिव का त्रिशूल, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगर और भगवान कृष्ण की नगरी द्वारिका को बनाया था। भगवान विश्वकर्मा शिल्प में गजब की महारथ हासिल थी जिसके कारण इन्हें शिल्पकला का जनक माना जाता है। इस समस्त ब्रह्मांड की रचना भी विश्वकर्मा जी के हाथों से हुई। इस दिन देश के विभिन्न राज्यों में, खासकर औद्योगिक क्षेत्रों, फैक्ट्रियों, लोहे की दुकान, वाहन शोरूम, सर्विस सेंटर आदि में पूजा होती है।
सूर्य को देखकर तय की जाती है विश्वकर्मा पूजा की तिथि
इस बार भी हर साल की तरह 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई गई। वैसे तो हिन्दू धर्म में हर प्रत्येक पर्व और व्रत तिथि के अनुसार ही मनाई जाती है लेकिन विश्वकर्मा पूजा के लिए हर साल एक निश्चित तारीख यानी 17 सितंबर होती है। हिंदू धर्म के अनुसार भगवान विश्वकर्मा की जयंती को लेकर कुछ मान्यताएं हैं। कुछ ज्योतिषाचार्यो के अनुसार भगवान विश्वकर्मा का जन्म आश्विन कृष्णपक्ष का प्रतिपदा तिथि को हुआ था वही कुछ लोगो का मनाना है कि भाद्रपद की अंतिम तिथि को भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। वैसे विश्वकर्मा पूजा सूर्य के पारगमन के आधार पर तय किया जाता है। भारत में कोई भी तीज व्रत और त्योहारों का निर्धारण चंद्र कैलेंडर के मुताबिक किया जाता है। लेकिन विश्वकर्मा पूजा की तिथि सूर्य को देखकर की जाती है। जिसके चलते हर साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को आती है।
भगवान विश्वकर्मा ने किया था सोने की लंका का निर्माण
विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त सुबह 07:01 सुबह था। विश्वकर्मा ने सोने की लंका, इंद्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, पांडवपुरी, कुबेरपुरी, शिवमंडलपुरी तथा सुदामापुरी आदि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया। उन्होंने ही उड़ीसा में स्थित भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण भी किया। भारत के कुछ भाग में यह मान्यता है कि अश्विन मास के प्रतिपदा को विश्वकर्मा जी का जन्म हुआ था, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि लगभग सभी मान्यताओं के अनुसार यही एक ऐसा पूजन है जो सूर्य के पारगमन के आधार पर तय होता है इस लिए प्रत्येक वर्ष यह 17 सितम्बर को मनाया जाता है।


No comments:
Post a Comment