अभियान के बाद भी नहीं थम रहा पालीथीन का इस्तेमाल
लखनऊ। उत्तर प्रदेश् सरकार के सख्त रवैये के बावजूद राजधानी में पालीथीन के इस्तेमाल पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। हालांकि नगर निगम पालीथीन के इस्तेमाल करने वाले दुकानदारों के विरूद्ध अभियान चला रहा है लेकिन अभियान के बावजूद नगर में राजधानी में पालीथीन के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगा पा रहा है जिससे प्रदेश सरकार के प्लास्टिक से बनी चीजों पर रोक लगाने के प्रयासों पर पानी फिरता दिखायी दे रहा है।
बताते चले कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने बीते 15 अगस्त को पालीथीन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के साथ नगर निगमों को आदेश दिया था कि पालीथीन पर पूरी रोक लगाने के लिये नगर निगम टीम गठित कर इसके इस्तेमाल और बनाने वालों को विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जायें। हालांकि घोसणाओं के शुरूआती दौरा में इस अभियान का कड़ाई से पालन किया गया लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता गया अभियान का भी नामो निशान मिटता गया। आज सोमवार को नगर निगम ने अभियान के नाम केवल जोन-5 के दो स्थानों पर अभियान चलाकर कुछ मात्रा में पालीथीन जब्त की और 13 हजार रूपये जुर्माना वसूल कर अभियान की खाना पूर्ति कर दी।
बताते चले कि राजधानी के निशातगंज, महानगर, भूतनाथ, प़त्रकारपुरम, चिनहट, इन्दिरा नगर, चारबाग, अलींगज, कपूरथला, नहरिया, सदर, दुबग्गा, अमीनाबाद, नाका समेत राजधानी के अन्य ग्रामीण इलाकों के मुख्य बाजारों में पालीथीन का उपयोग धड़ल्ले के साथ किया जा रहा है और नगर निगम दस्ता बनाकर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर रहा है। सरकारी पैसे पर चलाये जा रहे अभियान से न तो शहर में पालीथीन खत्म हो रही है और न ही दुकानदार इस मामले में पीछे हटते दिखायी दे रहे है। दूसरी ओर अधिकारी है कि अपनी खानापूर्ति कर सरकार के प्रयासों पर पानी फेर रहे है। जानकारों को मानना है कि अधिकारियों की इस तरह की कार्यशैली पालीथीन तो खत्म नहीं होगी लेकिन अभियान के नाम पर लाखों रूपये पानी में जरूर चले जायेंगे।
बताते चले कि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने उत्तर प्रदेष में प्लास्टिक से बने वस्तुओं के प्रयोग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है लेकिन नगर निगम है कि अभियान के नाम केवल खाना पूर्ति कर रहा है जिससे प्रदेष सरकार की पालीथीन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने की मंश फेल साबित होती दिखायी दे रही है।
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