प्रोजेक्ट को दो बार बदला गया मिट्टी न मिलने के कारण काम रुका
कानपुर। मेट्रो यार्ड बनाने का काम फिलहाल ठंडा दिखाई पड़ रहा है। दो साल में पूरे मेट्रो प्रोजेक्ट का काम दो फीसद भी पूरा नहीं हो सका जबकि वर्ष 2023 तक इस काम को पूरा करना है। पिछले दो साल से पॉलीटेक्निक में मेट्रो यार्ड बनाने का काम चल रहा है, लेकिन अभी तक 45 फीसद ही काम पूरा हो पाया है। मिंट्टी न मिलने के कारण आधा काम रुका पड़ा है। इसके अलावा आइआइटी से मोतीझील तक मेट्रो के काम के टेंडर पांच माह से फाइलों में बंद हैं।
अभी तक यह नहीं तय हो पा रहा है कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप या सरकारी माध्यम से मेट्रो का निर्माण कराया जाएगा। हालांकि प्रोजेक्ट दो बार बदल चुका है। इस दौरान डीपीआर में भी अब तक चार करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुका है। चार अक्टूबर 2016 को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मेट्रो की नींव रखी थी। इसके तहत पॉलिटेक्निक में मेट्रो यार्ड का शिलान्यास किया था। सपा सरकार में 13721 करोड़ का मेट्रो प्रोजेक्ट तैयार हुआ था।
भाजपा सरकार ने फिर प्रोजेक्ट में बदलाव करते हुए पीपीपी मॉडल से बनाने के साथ ही आय के स्त्रोत पर भी जोर दिया गया। इसके आधार पर जनवरी 2018 में 18342 करोड़ रुपये का डीपीआर बना। इसके तहत आइआइटी से मोतीझील तक 734 करोड़ के तहत 25 अप्रैल को टेंडर कराए गए। दो कंपनियों आईए लेकिन पांच माह से फाइल बंद पड़ी है। इसी बीच फिर तय हुआ कि सरकारी माध्यम से मेट्रो का निर्माण कराया जाएगा। इसके चलते अफसर भी फंसे हुए हैं कि कैसे निर्माण होगा।
फिलहाल मेट्रो के लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार भी शांत है। अभी तक कोई फैसला नहीं आया है और न ही काम शुरू हो रहा है। लखनऊ मेट्रो कारपोरेशन को निर्माण की अभी फिलहाल जिम्मदारी दी गई है। धन न होने के कारण यार्ड का काम धीमा पड़ा है। लोकसभा 2019 के चुनाव भी करीब आ रहे है। फिलहाल यह कहना बहुत मुश्किल है कि मेट्रो की लाइन डालने के लिए काम कब से शुरू होगा।
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