सण्डीला।हरदोई13।सितम्बर।पहली मुहर्रम को नवासा ए रसूल हजरत इमाम हुसैन के गम में शिया अजादारों ने या हुसैन की सदाओं के साथ ज़री व अलम का जुलूस निकाला। गम का प्रतीक काला अलम दरगाह हज़रत अब्बास में नस्ब किया गया। जुलूस में सीनाजनी-नोहाख्वानी की गई।नगर के मोहल्ला महेतवना में चौधरी हाशिम रज़ा के आवास में स्थित अजाखाने में मजलिस हुई जिसमें क़मर अब्बास ने वाक्यात ए कर्बला ब्यान करते हुए कहा कि रसूले करीम और अहलेबैत की जिंदगी हमारे लि नमूना ए अमल है। उनकी तालीम पर अमल करके हमें जिंदगी गुजारनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यजीद इस्लाम में बदलाव करके शैतानी हुकूमत कायम करना चाहता था, जिससे कि इस्लाम बदनाम हो जाए। आज भी कुछ यजीदी सोच रखने वाले इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश कर रहे है। हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में इंसानियत को बचाने के लिए अपने 72 जानिसारों के साथ कुर्बानी दी और आपसी भाईचारे का पैगाम दिया। शहादत का ब्यान सुनकर अजादारों की आंखें नम हो गई। मजलिस के बाद या हुसैन की सदाओं के साथ शाही ज़री व काले अलम का जुलूस निकला। जुलूस नगर में ही मोहल्ला मूसापुर से सदर बाजार से होता हुआ दरगाह हज़रत अब्बास पहुंचा।नौहाख्वानी की वहीं युवाओं ने या हुसैन की सदाओं के बीच सीनाजनी की। जुलूस के दौरान अजादार की काफी संख्या में शामिल रहे। जुलूस में सुरक्षा व्यवस्था को पुलिस फोर्स के साथ मुस्तेहद नजर आए। उधर पहली मुहर्रम को इमामबाडों और अजाखानों में मजलिसों और शहादतनामों की महफिलें हुई।
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Thursday 13 September 2018
संडीला-ग़मज़दा माहौल में निकला पहली मोहर्रम ज़री का जुलूस
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