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Monday, 13 May 2019

ब्रेन हेमरेज से पीड़ित मरीज की रक्तदान कर जान बचाने वाले यूपी 100 के दोनों सिपाही सम्मानित

लखनऊ। ब्रेन हेमरेज से पीड़ित विवेकानन्द अस्पताल में भर्ती मरीज अल्ताफ के परिजन की सूचना पाकर मौके पर पहुंचे राजधानी लखनऊ में यूपी 100 में तैनात कॉन्स्टेबल इरशाद हाशमी और सहादत अली को सोमवार को अपर पुलिस महानिदेशक डीके ठाकुर ने प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। इन जांबाज पुलिसकर्मियों ने ना सिर्फ अपना खून देकर मरीज की जान बचाई बल्कि उसकी आर्थिक सहायता भी थी। सम्मान मिलने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद दोनों सिपाहियों की खूब प्रशंसा हो रही है।

मरीज को एक-एक यूनिट खून देकर सिपाहियों ने बचाई जान
बता दें कि उन्नाव निवासी सुल्तान के बहनोई अल्ताफ पिछले दिनों विवेकानंद अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें डायबिटीज समेत कई गंभीर बीमारियां हैं। डॉक्टरों ने डायलिसिस की सलाह दी। सुल्तान ने कई रिश्तेदारों से खून के लिए संपर्क किया, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया। पीड़ित के पास न तो खून देने वाला कोई था और न ही इलाज करवाने के रुपये थे। सुल्तान को कोई रास्ता नहीं सूझा तो उन्होंने 100 नंबर डायल कर पुलिस से मदद मांगी। सूचना मिलते ही मौके पर पीआरवी बाइक 4558 पहुंची। बाइक पर तैनात दोनों सिपाहियों का हालात देखकर दिल पसीज गया और पीआरवी के दोनों पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ एक-एक यूनिट खून दिया, बल्कि सुल्तान की आर्थिक मदद भी की।

रायबरेली में रहकर ऑटो रिक्शा चलाकर परिवार पलता है मरीज
उन्नाव के रहने वाले सुल्तान ने बताया कि उनके बहनोई अल्ताफ रायबरेली में रहकर ऑटो रिक्शा चलाते हैं। पिछले दिनों सुल्तान की बहन तरन्नुम अपनी मां से मिलने उन्नाव आ गई। इस दौरान अल्ताफ घर में अकेले थे। एक हफ्ता पहले तरन्नुम घर लौटी तो दरवाजा अंदर से बंद था। काफी प्रयास के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला तो पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया। बेड के नीचे अल्ताफ को पड़ा देख होश उड़ गए। पड़ोसियों की मदद से तरन्नुम ने अल्ताफ को पास ही स्थित एक निजी अस्पताल पहुंचाया। वहां स्थिति में सुधार न होते देख परिवारीजन उन्हें लखनऊ के विवेकानंद हॉस्पिटल ले आए। यहां उन्हें आईसीयू में रखा गया है। सुल्तान ने बताया कि दोनों सिपाहियों ने एक एक-एक यूनिट खून देकर मानवता की मिसाल पेशकर उनके बहनोई की जान बचा ली। रक्तदान के बाद सुल्तान दोनों सिपाहियों को जूस पिलाने के मकसद से बाहर ले गए। दोनों सिपाहियों ने जूस भी नहीं पिया और उसको इलाज के लिए रुपये भी दिए।

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