लखनऊ। राजधानी लखनऊ के आलमबाग स्थित निजी अस्पताल में मरीज की मौत के बाद परिवारीजनों ने जमकर हंगामा किया। परिवारीजनों ने इलाज में कोताही का आरोप लगाया। साथ ही मरीज की मौत के बाद ढाई लाख रुपये का बिल थमाने का आरोप लगाया। बिना बिल भुगतान के शव देने से मनाकर दिया। अस्पताल में हंगामे की वजह से दूसरे मरीजों का इलाज प्रभावित हो गया। कर्मचारियों ने परिवारीजनों को समझा-बुझाकर शांत कराने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माने। हंगामा बढ़ता देख अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को बुलाया। मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला शांत कराया। उसके बाद तीमारदारों को शव सुपुर्द कराया। हंगामे के कारण अन्य मरीजों को काफी दुश्वारियों का सामना करना पड़ा। इस संबंध में सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि घटना दुखद है। परिवारीजनों की तरफ से अभी शिकायत नहीं मिली है। मामले की जांच काई जाएगी। जांच में तीमारदारों का आरोप सही मिलते हैं तो अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के अनुसार, गोरखपुर निवासी जितेंद्र कुमार (48) लिवर की गंभीर बीमारी की चपेट में था। कई स्थानीय अस्पतालों में इलाज कराया। फायदा नहीं हुआ। परिवारीजन मरीज को लेकर आलमबाग के निजी अस्पताल में आए। भाई अमित ने बताया कि भर्ती के वक्त 50 हजार रुपये जमा कराए गए। उसके बाद इलाज शुरू हुआ। इलाज के बावजूद मरीज की तबीयत में सुधार नहीं हुआ। बीच में कई बार डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ को बुलाया। आरोप है कि मरीज को देखने के लिए समय पर डॉक्टर नहीं आए। इलाज में कोताही से मरीज की तबीयत और बिगड़ गई। रविवार दोपहर मरीज की सांसें थम गई। मरीज की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने परिवारीजनों को ढाई लाख का बिल थमा दिया। भारी-भरकम बिल देख तीमारदार भड़क उठे। परिवारीजनों ने इतना बिल भुगतान करने में असमर्थता जाहिर की। प्रशासन ने बिना बिल भुगतान शव देने से इनकार कर दिया। इस पर तीमारदारों ने हंगामा शुरू कर दिया। अस्पताल प्रशासन पर उगाही का इलजाम लगाया।
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