दौड़ लगाने के बाद भी नहीं मिला अस्पताल से शव वाहन
लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी से लगातार राजधानी के अस्पतालों की हालत खस्ता हो चुकी है। वहीं अस्पतालों में बैठे जिम्मेदार अफसर कार्रवाई करने की बजाय भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। मामला बलरामपुर अस्पताल का है जहां यहां के अफसरों की चुप्पी से इन दिनों दलालों का रैकेट फैला हुुआ है। यहां मरीजों की निजी अस्पतालों में शिफ्टिंग व बाहर से जांच कराने के लिए गाडिय़ां दिनभर परिसर में घूमती रहती है।आज दोपहर सुपर स्पेशलियटी वार्ड के आईसीयू में भर्ती महिला मरीज की मौत बाद ही शव वाहन का दलाल वहां पहुंचकर तीमारदारों से रेट तय करने लगा। तीमारदार ने बड़ी रकम देने में असमर्थता जताई। अस्पताल से शव वाहन लेने के लिए इमरजेंसी से लेकर निदेशक कार्यालय तक दौड़ लगाई मगर शव वाहन न मिलने पर रिश्तेदारों से उधार रकम लेकर किराए पर वाहन मंगवाकर शव ले गया।
यह हैं मामला
गोसाईगंज के रज्जाकपुर गांव की रहने वाली शांति देवी (70) सुपर स्पेशलियटी वार्ड के कार्डियक विभाग में भर्ती थी। दोपहर करीब दो बजे उनकी मौत हो गई। मरीज की मौत की सूचना वार्ड से शव वाहन के दलालों पास पहुंच गई। शव वाहन के दलाल फौरन आईसीयू के बाहर पहुंचकर तीमारदारों से रेट तय करने लगे। पोते अतुल कुमार ने दो हजार रुपए की रकम देने में असमर्थता जताई। अस्पताल का शव वाहन लेने के लिए इमरजेंसी गया। जहां से अफसरों की अनुमति बिना शव वाहन न मिलने की बात कहकर निदेशक कार्यालय भेज दिया गया। अतुल करीब एक घंटे तक निदेशक-सीएमएस व एमएस का इंतजार करता रहा। तीनों अफसर अपने कक्ष में न मिलने पर उसे निराश होकर लौटना पड़ा।
आईसीयू के कर्मचारी की मिलीभगत से सक्रिय हैं दलाल
अतुल का आरोप है कि सरकारी शव वाहन न मिलने पर रिश्तेदारों से रकम उधार लेकर शव वाहन किराए पर मंगवाकर ले गए। परिवारीजनों का आरोप है कि मरीज की मौत के महज दस मिनट बाद ही सुपर स्पेशलियटी वार्ड के बाहर निजी शव वाहन आकर खड़ा हो गया था। आरोप है कि आईसीयू के कर्मचारी की मिलीभगत से दलाली का खेल चल रहा है।
डॉ राजीव लोचन निदेशक, बलरामपुर अस्पताल
अस्पतालों में दलालों को रोकने के लिए पहले से ही सुरक्षागार्डों को निर्देश दिया जा चुका है। अब अगर इस तरह की बात सामने आयी है तो हम जांच करवाएंगे और कार्यवाही करेंगे।
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