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Thursday 6 June 2019

माओवादी ने बिहार -झारखंड सहित देश के जंगलों पर किया क़ब्ज़ा ! नो इंट्री का जारी किया नोटिस !

 जंगलों में चप्पे-चप्पे पर बिछा रखा  हैं आईईडी बम ,कदम पड़ते ही धमाका -धमाका

>> माओवादी सेंट्रल कमिटी मेंबर प्रमोद मिश्रा के प्लानिंग से नक्सलियों ने तैयार किया हैं सुरक्षा कवच

>> सुरक्षा बल, आम आदमी के साथ जानवर भी हो रहे शिकार ,खतरे के मद्देनजर दहशत में आवाम

रवीश कुमार मणि
पटना ( अ सं ) । देश के आंतरिक सुरक्षा की बात करे तो अबतक का यह सबसे बडा खुलासा हैं । अपने अस्तित्व को बचाने के लिए माओवादी संगठन ने बिहार -झारखंड सहित देश के जंगलों पर कब्जा कर लिया हैं और एक हद तक नो इंट्री का नोटिस जारी कर दिया हैं । नक्सलियों ने अपनी सुरक्षा के लिए जंगलों के चप्पे-चप्पे पर आईईडी बम बिछा रखा हैं ,कदम पड़ा नहीं की धमाका ही धमका । हाल के घटना क्रम को देखे तो इसके कई शिकार हो चुके हैं । खतरा के मद्देनजर आसपास के आवाम दहशत में हैं । माओवादी संगठन ने सुरक्षा कवच तैयार किया हैं वह सेंट्रल कमिटी मेंबर ( पोलित ब्यूरो ) प्रमोद मिश्रा की प्लानिंग है।

कमजोर माओवादी का खतरनाक मिशन

विगत वर्षों की बाद करे तो देश में राष्ट्र विरोधी से अधिक राष्ट्र भक्ति का माहौल बना हैं । युवा वर्ग देश के साथ हैं ,यह हिंसा और हथियार को नहीं बल्कि उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा के मार्ग को उचित मानते हैं ।आधुनिक युग में जीना चाहते हैं । ऐसा सिर्फ शहरों के युवाओं में ही नहीं बल्कि गांवों में रह रहें युवा वर्ग में ऐसी प्रेरणा जगी हैं । और यहीं बड़ी कारण हैं की कोई भी माओवादी संगठन में शामिल नहीं होना चाहता और इनको संरक्षण देने को तैयार हैं । परिवार के बेहतरी के लिए ,सरकार द्वारा चलाएं जा रहें विकासशील योजनाओं से प्रभावित हो बड़ी संख्या में नक्सली मुख्यधारा से जुड़े हैं । इधर सुरक्षा बलों ने सक्रियता से सर्च अभियान चलाकर नक्सलियों को बर्बाद करने का काम किया हैं ।
           अपने को कमजोर और अस्तित्व पर खतरा पाते देख नक्सलियों के लि बड़ी चिंता ,अपनी सुरक्षा की हैं । इसको लेकर कमजोर माओवादी संगठन ने खतरनाक मिशन तैयार किया और पूर्व की तरह जंगल को ही सुरक्षित समझा । गुरीला वार का माहिर खिलाड़ी ,माओवादी सेंट्रल कमिटी मेंबर ( पोलित ब्यूरो ) प्रमोद मिश्रा के निर्णय पर देश के सक्रिय माओवादी राज्यों बिहार ,झारखंड ,छत्तीसगढ़ ,आंध्रप्रदेश के जंगलों में आईईडी बम बिछा दिया गया हैं । और आसपास के इलाके में रहने वाले को सूचित कर दिया गया हैं की जंगलों में आनाधिकृत रूप से आना वर्जित हैं ।आम लोगों के लिए  एक रास्ता दिया गया हैं ,जिसपर नक्सलियों की बड़ी ताकत तैनात हैं ।इसपर भी बम बिछाएं गये हैं लेकिन वह मैनुअल हैं ,जिसका रिमोट नक्सली संगठन के एरिया कमिटी के चीफ के पास सुरक्षित रखा गया हैं । आईईडी बम के कारण ,अर्धसैनिक बल -पुलिस बल और आदमी तो शिकार हो ही रहें हैं ,बड़ी संख्या में जंगलों के जानवर शिकार हो रहें हैं ।माओवादी संगठन द्वारा जंगलों में बिछाएं गये मौत का सामान आईईडी बमों की खतरा से आम लोग दहशत में हैं । बिहार का औरंगाबाद, गया और जमुई के जंगलों में माओवादी सक्रिय रहें हैं और इनका कैंप हैं ।

मदनपुर और सरायकेला जंगल की घटना

औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाना स्थित जंगल में कुछ माह पहले एक घटना हुई । इसमें एक चरवाहा अपने जानवर को लेकर जंगल की ओर रूख किया । जंगल में प्रवेश करते ही उसके गाय और उसका पैर आईईडी बम गया की अचानक बड़ी विस्फोट हुई । दोनों के दोनों वही ढेर हो गये । इसके बाद हाल में झारखंड के सरायकेला जंगल के रास्ते जा रहें पुलिस वाहन आईईडी बम पर चली गयी । विस्फोट में 19 पुलिसकर्मी जख्मी हुये । इसमें बिहार के जहानाबाद और भोजपुर के दो पुलिस जवान सहित 3 मारे गये ।  ऐसी दर्जनों घटनाएं जंगल के क्षेत्रों में लगातार हो रही हैं ।जिससे लोग दहशत में हैं ।

माओवादी नेता प्रमोद मिश्रा एक बड़ी चुनौती

प्रमोद मिश्रा गया  जिले के रफीगंज का रहने वाले बताएं जाते हैं ।इनसे जुड़े  जानकारों की मानें तो प्रमोद मिश्रा माओवादी संगठन में सेंट्रल कमिटी मेंबर ( पोलित ब्यूरो ) हैं ।बगल के पड़ोसी देश नेपाल में हुये संघर्ष में प्रमोद मिश्रा ,गुरिला आर्मी चीफ थे । कई वर्षों तक बिहार और झारखंड के जेल में बीताने के बाद प्रमोद मिश्रा बीते दो वर्ष पहले बिहार के छपरा जेल से जमानत पर छूट कर गये तो रफीगंज में आर्वेद का निजी अस्पताल खोले ।भेष-भूषा किसी महात्मा की तरह तक लिये ।सुरक्षा एजेंसी की टीम नजरें रखें हुई थीं ,साथ चाय की चुस्की चलती थी। सुरक्षा एजेंसी को लगा की उम्र के पड़ाव में वृद्ध प्रमोद मिश्रा अपना शेष जिंदगी घर-परिवार के साथ जीयेंगा लेकिन चाय की चिस्की लेते -लेते प्रमोद मिश्रा अचानक जंगल के रास्ते माओवाद की राह पकड़ लिये । प्रमोद मिश्रा का पुनः माओवादी संगठन ज्वाइन करना देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती हैं ।

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