लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि के अवसर पर लालबाग स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि लोकमान्य तिलक स्वाधीनता आन्दोलन के महानायक थे जिन्होंने समाज में प्रचलित गलत धारणाओं का बौद्धिक प्रतिकार किया। लोकमान्य तिलक ने पुणे में डेक्कन एजुकेशन सोसायटी की स्थापना की थी। उच्च शिक्षा हेतु विदेश जाने वाले व्यक्तियों को वे देशभक्ति की शिक्षा देते थे। वीर सावरकर हो या सेनापति बापट, सभी स्वतंत्रता सेनानियों के लिये लोकमान्य तिलक का जीवन दीपस्तम्भ की तरह रहा जो सभी को प्रेरणा देता था।
श्री नाईक ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक ने लखनऊ में 1916 में ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर रहूंगा’ का नारा दिया था जिसने स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए लोगों को प्रेरणा एवं ताकत दी। तिलक अंग्रजों के विरूद्ध जनजागरण करते रहे जिसके लिए अंग्रेजी हुकूमत ने ‘असंतोष का जनक’ कहते हुये बर्मा की रंगून जेल में कैद किया। जेल में रहते हुए उन्होंने भगवद्गीता पर आधारित ‘गीता रहस्य’ ग्रंथ की रचना की जो कर्मयोगियों के लिये मार्गदर्शक की तरह है। राज्यपाल ने कहा कि पराधीनता के समय देश के लोगों को रोजगार देने तथा एकजुटता के लिये उन्होंने पुणे में नागरिकों से एक-एक पैसा एकत्र कर कांच उद्योग में फैक्ट्री ‘पैसा-फण्ड’ की स्थापना की जो आज भी चल रही है। राज्यपाल ने कहा कि लोकमान्य तिलक का निधन 1920 में हुआ था। दो वर्ष बाद अर्थात् 2020 में उनकी 100वीं पुण्यतिथि होगी। उनके द्वारा बताये गये मार्ग पर चलकर तथा देश को विकास के पथ पर अग्रसर करके हम सच्चे अर्थों में उनको श्रद्धांजलि अर्पित कर पायेंगे।
श्रद्धांजलि सभा में लखनऊ की महापौर डॉ संयुक्ता भाटिया, भातखण्डे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय की कुलपति श्रुति सडोलीकर, उदय खत्री, सुधीर हलवासिया सहित अन्य नागरिकजन उपस्थित थे।
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Wednesday 1 August 2018
राज्यपाल ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि पर अर्पित की श्रद्धांजलि
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