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Monday 19 November 2018

ठंड के मौसम में रहे सावधान , नहीं तो आप हो सकते लकवा के शिकार

लकवा एक ऐसी बिमारी का नाम है जो मानव के पूरे जीवन में कभी भी किसी समय शरीर मे हो सकती हालांकि यह एक ऐसी बीमारी है जो मानव के शरीर का कोई भी हिस्सा शून्य हो सकता है एजिसमे इस बीमारी में जीवित तो रह सकता हैए परन्तु एक निर्जीव वस्तु की तरह बेजान पड़ा रहता है जिसमें उसे लकवा स्ट्रोक कहते हैं !

क्या है लकवा

केजीएमयू के न्यरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ  नीरज ने बताया कि लकवा या स्ट्रोक या कहिए पक्षाघात मस्तिष्क की एक बीमारी है। यह दो प्रकार का हो सकता है।स्ट्रमिक स्ट्रोक में 80 से 85 प्रतिशत दूसरा हीमोराजिक स्ट्रोक 10 से 15 प्रतिशत स्ट्रोक का ख़तरा होता है ए जो कि दिल से मस्तिष्क की ओर जाने वाली रक्तवाहिनियों के फटने और दूसरा उनके बंद होने के कारण। जब एक या अधिक मांसपेशी समूह की मांसपेशियां पूरी तरह से काम करने में असमर्थ हो जाती हैं तो इस स्थिति को पक्षाघात या लकवा मारना कहते हैं।  साल में लगभग 1000 से 1200 तक पैरालाईसेस ;लकवा  के मरीज आते हैं , जिसमे ज्यादातर ठंड के मौसम में लकवा के मरीजो कि संख्या बढ़ कर दो से तीन गुना हो जाती है !

जाड़ो के मौसम में रहे सावधान

ठण्ड के मौसम में जो लोग सुबह टहलने निकलते है , उन्हें सुबह छः बजे के बाद निकलना चाहिए ! अगर आप ठंड के खुले मौसम में सोते या फिर टहलते हैए तो लकवा होने की अधिक सम्भावना हो सकती है ! क्योंकि जाडो़ के मौसम में शरीर की धमनिया सुकड़ जाती हैं जिससे हर्ट अटैकस्ट्रोक होने की संभावना बढ जाती हैंए और साथ ही बच्चों व किशोर अवस्था के लोगों को दमाग की नसे फटने का अधिक डर रहता है जिसमें उन्हें हीमोरॉजिक स्ट्रोक व स्ट्रमिक स्ट्रोक का ख़तरा बढ जाता है!

केजीएमयू में पहुंचे 6 लकवा के मरीज

केजीएमयू के न्यरोलॉजी विभाग में साल में लगभग 1000 से 1200 तक पैरालाईसेस ;लकवा  के मरीज आते हैं , ठण्ड का मौसम आते ही  नवम्बर माह में भर्ती हुए लकवा के छः मरीज ! जिसमे एक की मृत्यु हो चुकी है। हालांकि एक मरीज की हालत अभी गंभीर बानी हुई और चार का इलाज  चल रहा है ! सबसे ज्यादा लकवा के मरीज ठंड के मौसम में प्रतिदिन 10 से 20 तक आते हैं

ठण्ड में इन आहारों को ले एशरीर को मिलेंगी गर्मी

पैरालिसिस के रोगी को अनाजो में चोकर युक्त आटे की रोटी , पुराना चावल , दलिया, एबाजरा , उड़द , मूंग की दाल , मछली,  मीट,  अण्डा ,सेवन करें । फलों में  अंगूर , आम , कद्दू ,सेब , नाशपाती , पपीता खाएं।

लकवा  के इलाज का तरीका

जब कभी किसी को अचानक लकवा का अटैक पड़ता है तो उसे स्ट्रमिक स्ट्रोक कहते हैं! हालांकि इसमे पहले थम्बोलेसिस के इन्जेक्शन लगते हैं !जिसमे इस इंजेक्शन के बाद लगभग 4 : 30 घंटे के अंदर खून की जॉच , सीटी स्कैन  अल्ट्रासाउंड , ईसीजी लगभग ये सभी जाँच करा लेनी चाहिए उसके बाद दवा दी जाती हैं , हालांकि इसकी दो दवाये होती है। जिसका नाम है टीएक्टिवप्लेज और अल्टाप्लेज टीएक्टिवप्लेज जिसमे एक नयी दवा है , जोकि अल्टाप्लेज पहले से केजीएमयू के ट्रामासेंटर के एमरजेंसी में उपलब्ध हैं।

लकवा के इलाज केलिए अल्टाप्लेज इंजेक्शन की कीमत लगभग 50,000 से 60,000 तक महंगा इलाज है ! जोकि केजीएमयू प्रशासन को सरकार द्वारा एनएचआरएम के तहत जो सरकार सुविधा देती है उसी के आधार पर ए अल्टाप्लेज दवा बिलकुल भी फ्री में उपलब्ध हैएअगर अस्पताल के स्टॉक में पहले से उपलब्ध है , तो उसे मरीज को बिलुल भी फ्री लगाया जायेगा। हालाकि टीएक्टिवप्लेज दवा कीमत 20,000 से 25,000 है इसके उपरांत यह दवा एन.एच.आर.एम तहत अभी उपलब्ध नहीं है  साथ ही इन दवाओं में ख़ासियत यह है की टीएक्टिवप्लेज दवा को तुरंत हम बोतल में चढ़ा सकते है, लेकिन अल्टाप्लेज दवा को देने में 30 से 40 मिनट तक समय लगता है।

 लकवे  बीस प्रकार होते हैं

अर्धांग का लकवा , एकांग का लकवा , पूर्णांग का लकवा , निम्नांग का लकवा , संकल्प लकवामेरुमज्जा प्रदाहजन्य लकवा , बाल लकवा , गले का लकवा , जीभ का लकवा , मुंह का लकवा , उँगलियों का लकवा , पेशी क्षय जन्य लकवा  डिप्थीरिया जन्यलकवा , हिस्टीरिया जन्य लकवा, पारद दोष जन्य लकवा , सीसा जन्य लकवा , गठिया जन्य लकवा , आंशिकत्वक शून्यता हाथ के ऊपरी भाग का लकवा ,रक्त चापधिक्य जन्य लकवा है !

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